नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति घोटाले (excise policy scam) में फंसने के बाद अचानक अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के दो दिन बाद केजरीवाल ने कहा कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे। इस घोषणा के बाद दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी मार्लेना का नाम सबसे आगे चल रहा है।
आतिशी, जो वर्तमान में दिल्ली सरकार में शिक्षा और जल संसाधन मंत्री हैं, केजरीवाल की सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक मानी जाती हैं। जब मनीष सिसोदिया और केजरीवाल खुद कानूनी मामलों में फंसे हुए थे, तब आतिशी ने पार्टी का हर मोर्चे पर नेतृत्व किया और पार्टी की आवाज को बुलंद किया। उन्होंने केजरीवाल की पत्नी के साथ भी हर मंच पर मजबूती से खड़ा होकर पार्टी की छवि को बचाए रखा।
आतिशी की दावेदारी क्यों मजबूत?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केजरीवाल ने अपनी चिरपरिचित इमोशनल पॉलिटिकल अप्रोच के तहत यह कदम उठाया है। केजरीवाल के इस्तीफे के पीछे एक सोची समझी रणनीति मानी जा रही है, जिसके तहत वह जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। आतिशी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देकर, केजरीवाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर तीखा हमला बोलने की तैयारी कर सकते हैं।
आतिशी की दावेदारी के पीछे कई ठोस कारण हैं। वर्तमान में उनके पास 14 विभागों की जिम्मेदारी है, जो कि दिल्ली सरकार में किसी भी मंत्री के पास सबसे ज्यादा है। इन विभागों में वित्त, शिक्षा और लोक निर्माण विभाग जैसे अहम मंत्रालय शामिल हैं। इससे साफ होता है कि केजरीवाल सरकार में आतिशी की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।
केजरीवाल की रणनीति: एक राजनीतिक दांव
केजरीवाल के इस्तीफे को केवल भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने की कोशिश के रूप में नहीं देखा जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक छवि को पुनः स्थापित करने के लिए यह कदम उठाया है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यदि केजरीवाल ने सिसोदिया को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया होता, तो बीजेपी को उनके खिलाफ हमला करने का मौका मिल जाता। ऐसे में आतिशी को आगे लाकर केजरीवाल ने एक सुरक्षित और बुद्धिमानी भरा दांव खेला है।
केजरीवाल के इस्तीफे के साथ ही यह संभावना भी जताई जा रही है कि आम आदमी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले आतिशी को चेहरा बनाकर दिल्ली की राजनीति में नई शुरुआत करना चाहती है। आतिशी की नेतृत्व क्षमता, उनके विभागों में कुशलता से किए गए कार्य और उनके स्वच्छ छवि के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
बीजेपी चारों खाने चित्त?
आतिशी को मुख्यमंत्री पद पर लाने के फैसले से बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है। पहले से ही केजरीवाल के भ्रष्टाचार के मामलों पर हमला करने वाली बीजेपी के लिए आतिशी का नाम आगे लाना मुश्किल साबित हो सकता है। आतिशी की स्वच्छ छवि और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा बीजेपी के हमलों को निष्प्रभावी कर सकती है। इसके अलावा, केजरीवाल की ओर से यह दांव बीजेपी के लिए एक नई चुनौती साबित हो सकती है क्योंकि वह आतिशी के खिलाफ कोई ठोस हमला करने में सफल नहीं हो पाएगी।
केजरीवाल का इस्तीफा और आतिशी को संभावित मुख्यमंत्री बनाना एक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों में दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है।