धर्मनगरी कवर्धा में 26 दिसंबर को मनाया जाएगा माता अन्नापूर्णेश्वरी प्राकट्य दिवस

Pushpraj Singh Thakur
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अन्नपूर्णा माता भारतीय हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवी है, जो अन्न (भोजन) की देवी के रूप में पूजी जाती है। उन्हें “अन्नपूर्णेश्वरी” भी कहा जाता है। अन्नपूर्णा माता का उपासना विशेष रूप से पूरे मार्गशीर्ष माह और पूर्णिमा तिथि और। मार्गशीर्ष माह के पूर्णिमा तिथि को प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान होता है, जब शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। उन्हें धन, समृद्धि, और खाद्य-संप्राप्ति की देवी माना जाता है।

इसी क्रम में कवर्धा के कैलाश नगर स्थित जगत जननी मातान्नपूर्णेश्वरी जी की भी प्राकट्य दिवस की तैयारियां जोरों से सोरों से चल रही है।

पं संस्कार गर्ग (मुख्य पुजारी माता अन्नापूर्णेश्वरी मंदिर) ने बताया की मातान्नपूर्णेश्वरी मंदिर , कैलाश नगर कवर्धा में जोकि मंदिर 27 वर्ष पुराना है जिसे कैलाश मानस मंडली द्वारा निर्माण कराया गया था, और निर्माण कराए सदस्यों का वृद्ध हो जाने पर मंदिर का देख भाल और पूजन बंद हो गया था और एक यादव परिवार द्वारा अपने श्रद्धा शक्ति अनुसार नियमित पूजन किया जा रहा था। लेकिन कोई विशेष देख भाल करने वाला नही था।

मंदिर की स्थिति को देखते हुए कैलाश नगर के युवाओं द्वारा मंदिर का जीर्णोउद्धार करने का निर्णय लिया गया इसके साथ ही मोहल्ले और नगर के कुछ श्रद्धाओं का भी सहयोग प्राप्त हुआ। जीर्णोउद्धार सभी के साथ से पूर्ण हुआ और मार्गशीर्ष माह के पूर्णिमा तिथि (19/12/2022) को प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण हुआ साथ प्राकट्य उत्सव मनाया गया। अब पं संस्कार गर्ग एवं समिति के तत्वधान में नियमित मईया की पूजन एवं सेवा संचालित है, जीर्णोउद्धार के पश्चात से ही अब नवरात्र के दोनो पक्ष में ज्योति प्रज्वलित की जाती है।

जीर्णोउद्धार के पश्चात प्राकट्य उत्सव का यह दूसरा वर्ष है।

मईया के प्रसाद के प्रमुख रूप के अन्न है , जिस कारण चावल का वितरण किया जाता है, जिससे भक्त अपने अन्न भंडार में डालते है और अन्न के कमी नही होती है , मईया के आशीर्वाद से।

माता रानी का स्वरूप 

चित्रित रूप में, अन्नपूर्णा माता को धन्य और सुशील वृत्ति की देवी के रूप में दर्शाया जाता है, जो अपने देवों को अन्न और समृद्धि प्रदान करती हैं। उनकी मूर्ति में वह एक भंडारे को पकड़ती हुई दिखती हैं, जिससे सभी भूक्ष्य देवताओं को पूर्णता से भोजन मिलता है।

 

अन्नपूर्णा माता का उपासना भक्तियों के बीच में भयप्रद और संतोषदायक है, जो उन्हें समृद्धि और आनंद की देने वाली माता के रूप में मानते हैं।

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