अयोध्या में श्री रामलला का दिव्य श्रृंगार
6 अक्टूबर, 2024 को अयोध्या में श्री रामलला के दिव्य श्रृंगार का आयोजन किया गया। प्रतिदिन की तरह, इस दिन भी भगवान श्री रामलला ने भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन दिए। अयोध्या के इस पवित्र स्थान पर भक्तों की आस्था का कोई ठिकाना नहीं है, जहां श्रद्धालु दूर-दूर से आकर प्रभु श्री रामलला के अलौकिक रूप को निहारते हैं।
आरती और पूजन की विधि
श्री रामलला की पहली आरती सुबह 6.30 बजे होती है। इस आरती के साथ ही प्रभु को जगाने की प्रक्रिया आरंभ होती है। भक्तजन पूजन विधि के तहत भगवान को स्नान कराते हैं, उन्हें लेप लगाते हैं और विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहनाते हैं।
गर्मियों में भगवान को हल्के सूती वस्त्र पहनाए जाते हैं, जबकि सर्दियों में ऊनी कपड़े और स्वेटर। इस दिन विशेष रूप से उनकी सजावट और श्रृंगार में विशेष ध्यान रखा गया था। दिल्ली से मंगाई गई फूलों की माला से भगवान को अलंकृत किया गया।
भोग का महत्व
भगवान रामलला को दिन में चार बार भोग अर्पित किया जाता है, जिसमें सुबह का बाल भोग, दोपहर का भोग, संध्या भोग और रात का शयन भोग शामिल हैं। राम मंदिर की रसोई में बनाए गए विशेष व्यंजन हर दिन बदलते हैं, ताकि भक्तों को विविधता का अनुभव हो सके।
दर्शन के समय
रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह से लेकर शाम तक आते हैं। रामलला के दर्शन का समय सुबह 7.30 बजे तक रहता है। दोपहर में 12 बजे भोग आरती होती है और शाम को साढ़े सात बजे संध्या आरती के बाद भगवान को शयन करवाया जाता है।
विशेष आयोजन
आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (6 अक्टूबर) को आयोजित इस विशेष श्रृंगार में भक्तों ने भगवान श्री रामलला का दिव्य रूप देखकर अपने-अपने घरों में सुख और समृद्धि की कामना की। अयोध्या का यह अद्वितीय अनुभव न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।
इस प्रकार, अयोध्या में श्री रामलला का श्रृंगार और आरती भक्तों के लिए एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, जो उनके जीवन में खुशी और शांति लाने का कार्य करता है।