आज के डिजिटल युग में बच्चों को स्मार्टफोन या अन्य डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल करना सामान्य हो गया है। पेरेंट्स अक्सर अपने कामों में व्यस्त रहते हैं और बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल या टैबलेट दे देते हैं। हालांकि, यह आदत बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए, यह जरूरी है कि माता-पिता यह समझें कि किस उम्र के बच्चों को कितनी देर तक मोबाइल या डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल करने देना चाहिए।

0 से 2 साल की उम्र के बच्चों के लिए
विशेषज्ञों का मानना है कि इस उम्र के बच्चों को बिल्कुल भी स्मार्टफोन या टीवी नहीं देना चाहिए। इस समय बच्चे का मस्तिष्क तेजी से विकास कर रहा होता है और जो कुछ भी वह देखता है, वह उसके दिमाग में स्थाई रूप से बैठ जाता है। इस उम्र में उन्हें असल दुनिया के अनुभवों और उनके साथ खेल-खेल में सीखने का समय होना चाहिए, न कि स्क्रीन पर निर्भर होना चाहिए।
2 से 5 साल की उम्र के बच्चों के लिए
इस उम्र के बच्चों को दिन में सिर्फ 1 घंटे तक ही स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने देना चाहिए, वह भी माता-पिता की निगरानी में। इस दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा कोई भी हिंसक या असामाजिक कंटेंट न देखे। सिर्फ शैक्षिक सामग्री या ऐसी सामग्री दिखाएं जो बच्चे की रचनात्मकता को बढ़ावा दे सके। पेरेंट्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को दिखाने के लिए चैनल और समय फिक्स किया जाए, ताकि उनका स्क्रीन टाइम सीमित रहे।
5 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए
5 साल की उम्र के बाद बच्चों को मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में वे स्कूल जाने लगते हैं और उनकी ऊर्जा को क्रिएटिव और फिजिकल एक्टिविटीज़ में लगाना जरूरी होता है। इस उम्र के बच्चों को आउटडोर गेम्स, पार्क या अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल करें ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से हो सके। डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक इस्तेमाल उनकी फिजिकल एक्टिविटी को कम कर सकता है और इससे उनकी आंखों और दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है।
बच्चों की मोबाइल की लत कैसे छुड़ाएं?
आजकल कई पेरेंट्स इस बात पर पछताते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने दिया। अब सवाल यह उठता है कि बच्चों की मोबाइल की लत कैसे दूर करें? विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी आदत को तुरंत बदलना मुश्किल हो सकता है, लेकिन धीरे-धीरे बदलाव लाकर इसे संभव किया जा सकता है।
– धीरे-धीरे समय सीमित करें: बच्चों को एक दम से मोबाइल से दूर न करें, बल्कि धीरे-धीरे उनके स्क्रीन टाइम को सीमित करें।
– स्वयं भी मोबाइल कम इस्तेमाल करें: बच्चे पेरेंट्स को देखकर सीखते हैं, इसलिए जब आप बच्चों के साथ हों, तो मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करें। यह संदेश देना जरूरी है कि मोबाइल सिर्फ जरूरी कामों के लिए है, न कि मनोरंजन के लिए।
– सृजनात्मक कार्यों में शामिल करें: बच्चों को ऐसे खेलों और गतिविधियों में शामिल करें, जिनसे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।
– बच्चों के साथ समय बिताएं: बच्चों के साथ समय बिताना और उनके साथ खेल-खेल में सीखने की प्रक्रिया को अपनाना जरूरी है। यह न सिर्फ बच्चों को व्यस्त रखेगा, बल्कि उनकी रचनात्मकता और ज्ञान को भी बढ़ाएगा।
निष्कर्ष
बच्चों को मोबाइल देना आज की जरूरत बन गई है, लेकिन यह पेरेंट्स पर निर्भर करता है कि वे इसका इस्तेमाल सही तरीके से करवाएं। बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करने से न केवल उनकी आंखों और दिमाग को सुरक्षित रखा जा सकता है, बल्कि उन्हें रचनात्मक कार्यों में भी लगाया जा सकता है। बच्चों के साथ समय बिताना और उन्हें खेलों में शामिल करना उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए जरूरी है।