बेमेतरा। कल का मजदूर बना आज का विधायक यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती है। हम बात कर रहे हैं साजा विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायक श्री ईश्वर साहू जी की जिन्होंने साजा के पूर्व विधायक रविन्द्र चौबे को पांच हजार से भी अधिक वोटों से हराया है। विधायक बनते ही उनके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन आ चुका है। कभी रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट पालने वाले ईश्वर साहू सुरक्षाकर्मियों से घिरे नज़र आ रहे हैं। इतना ही नहीं,अब उनके चाहने वाले उन्हें मंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में रविन्द्र चौबे एक बड़ा नाम है। रविंद्र चौबे पिछले सात बार से साजा विधानसभा से जीतते आ रहे थे। जिन्हें साजा विधानसभा से किसी ने टस से मस नहीं कर पाया था।
• इस कारण से हुई रविंद्र चौबे की करारी हर
कुछ महिनों पहले साजा के ग्राम बिरनपुर जो स्वयं वर्तमान विधायक ईश्वर साहू का गांव है में एक सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। जिसमे कुछ शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने ईश्वर साहू के बेटे को चाकू से गोद गोद कर मर डाला था। ईश्वर साहू ने अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस थाने से लेकर रविंद्र चौबे तक का दरवाज़ा खटखटाया परन्तु उनको न ही प्रशासन से मदद मिली और न ही शासन से बल्कि उन्हें डराया और धमकाया गया।
तुष्टिकरण की राजनीति के चलते रविंद्र चौबे ने सब कुछ जानते हुए भी कोई एक्शन नहीं लिया। इसके चलते ही उन्हें एक मजदूर के हाथों हार मिली।
• भाजपा ने ऐसे दिलाया न्याय ईश्वर के बेटे को न्याय
इस घटना की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी को भी मिली थी। उन्होंने ही फैसला लिया था की साजा विधानसभा से ईश्वर साहू को भाजपा के विधायक प्रतिनिधि के रूप में चुनाव के मैदान उतारा जाए। उनकी यह रणनीति काफी असरदार साबित हुई। जो विधायक ईश्वर साहू के रूप में हम आज देख पा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के 54 विधायकों में सबसे चर्चित साजा विधायक ईश्वर साहू को सुरक्षाकर्मियों ने घेर लिया है। उन्हें एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। इस सुरक्षा के पीछे ईश्वर साहू और उनके परिवार पर थ्रेट को वजह बताया जा रहा है। ईश्वर साहू का परिवार साजा के बिरनपुर में हिंसा का शिकार है। बताया जा रहा है कि उनके हर दिन दहशत और धमकियों में गुजार रहे हैं।