‘मां दुर्गा प्रतिमा’ के लिए नहीं देंगी वेश्यालय की मिट्टी: कोलकाता में डॉक्टर की हत्या के विरोध में सेक्स वर्कर्स का बड़ा फैसला , जानिए क्यों ली जाती है वेश्यालयों से मिट्टी

Harsh Dongre
Harsh Dongre - Editor Kanker 38 Views
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भारत कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में इस साल दुर्गा पूजा की रौनक फीकी पड़ती नजर आ रही है। खासकर सोनागाछी के रेड लाइट एरिया की सेक्स वर्कर्स ने इस बार ‘मां दुर्गा प्रतिमा’ के लिए मिट्टी देने से इनकार कर दिया है। यह फैसला 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के विरोध में लिया गया है। सेक्स वर्कर्स का कहना है कि जब तक इस मामले में न्याय नहीं मिलेगा, वे दुर्गा प्रतिमा के लिए मिट्टी नहीं देंगी।

सेक्स वर्कर्स ने इस क्रूर घटना के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि एक डॉक्टर, जिसे समाज में भगवान का दर्जा दिया जाता है, उसके साथ ऐसी अमानवीय घटना का होना और फिर न्याय न मिल पाना बेहद दुखद है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक आरोपी को सजा नहीं दी जाती, तब तक वे दुर्गा प्रतिमा के लिए वेश्यालय की मिट्टी नहीं देंगी। अगर अगले साल तक भी इस मामले में न्याय नहीं मिला, तो वे अगले वर्ष भी मिट्टी देने से इनकार करेंगी।

मिट्टी देने की परंपरा और उसका महत्व

हर साल दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने के लिए वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक वेश्या मां दुर्गा की भक्त थी, लेकिन समाज द्वारा उसे हमेशा तिरस्कार और अपमान सहना पड़ा। मां दुर्गा ने उसकी भक्ति को देखकर उसे वरदान दिया कि जब तक उसकी प्रतिमा में वेश्यालय की मिट्टी का उपयोग नहीं होगा, तब तक प्रतिमा में मां का वास नहीं होगा। यही कारण है कि हर साल दुर्गा प्रतिमा बनाने में वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा, यह मान्यता भी है कि वेश्याएं पुरुषों की कामवासना का भार अपने ऊपर लेकर समाज को शुद्ध करती हैं, जबकि खुद को अपवित्र मानती हैं। इसलिए, वेश्यालय की मिट्टी का उपयोग कर इन महिलाओं को समाज द्वारा सम्मान देने की एक कोशिश की जाती है। इस परंपरा से सेक्स वर्कर्स को कुछ हद तक सामाजिक स्वीकृति मिलती है।

दुर्गा पूजा पर संकट और सरकारी प्रतिक्रिया

इस घटना और सेक्स वर्कर्स के इस फैसले से कोलकाता के दुर्गा पूजा उत्सव पर भी असर पड़ता दिख रहा है। हर साल इस समय तक दुर्गा पूजा के लिए पंडाल सजाने के काम और स्पॉन्सरशिप का काम जोरों पर होता था, लेकिन इस बार कई स्थानीय क्लब और समितियां भी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के विरोध में सरकारी सहायता से दूरी बना रहे हैं। ममता बनर्जी सरकार हर साल दुर्गा पूजा के लिए स्थानीय क्लबों को 85 हजार रुपये की सहायता देती है, लेकिन इस बार कई क्लबों ने इस मदद को लेने से इनकार कर दिया है।

महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर का मामला

बता दें कि 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर का रेप कर उसकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश पैदा कर दिया था। पुलिस ने इस मामले में संजय रॉय नामक आरोपी को गिरफ्तार किया, जो वारदात के बाद उसी बिल्डिंग में सो गया था। फिलहाल, इस हत्याकांड की जांच सीबीआई कर रही है।

सीबीआई की पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। वारदात के बाद आरोपी संजय रॉय फोर्थ बटालियन गया और वहां सो गया। अगले दिन उसने फिर से शराब पी और वापस सो गया। पुलिस ने जब अस्पताल के सेमिनार हॉल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, तो संजय रॉय की गतिविधियों को देखा गया और इस आधार पर उसकी गिरफ्तारी हुई।

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त

इस घटना के विरोध में जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त से हड़ताल शुरू की थी। 41 दिनों की हड़ताल के बाद, जूनियर डॉक्टरों और ममता सरकार के बीच बातचीत सफल रही और डॉक्टरों ने शनिवार, 21 सितंबर से काम पर लौटने का फैसला किया है। हड़ताल के समाप्त होने के बावजूद, इस घटना ने कोलकाता में कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

निष्कर्ष

कोलकाता की सेक्स वर्कर्स द्वारा इस साल ‘मां दुर्गा प्रतिमा’ के लिए मिट्टी न देने का फैसला एक महत्वपूर्ण सांकेतिक विरोध है। यह निर्णय न केवल महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के प्रति उनकी नाराजगी को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि ऐसे जघन्य अपराधों के बाद न्याय में हो रही देरी क्यों हो रही है। वहीं, दुर्गा पूजा के इस पारंपरिक और धार्मिक आयोजन पर भी इसका असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

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