हमारी मितानिन बहनें स्वस्थ प्रदेश और समृद्ध समाज की आधारशिला हैं : भावना बोहरा

मितानिन दिवस पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने मितानिनों को सम्मानित कर उनके सेवा भाव के प्रति जताया आभार

Pushpraj Singh Thakur
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छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था में मितानिनों की भूमिका किसी रीढ़ से कम नहीं। गाँव-गाँव, घर-घर जाकर सेवा की मशाल जलाने वाली ये महिलाएँ राज्य के स्वास्थ्य अभियान की सबसे प्रभावी और विश्वसनीय कड़ी हैं। 23 नवम्बर को पंडरिया के ग्राम गैंदपुर में आयोजित “हमर मितान” सम्मान समारोह में विधायक भावना बोहरा द्वारा 600 से अधिक मितानिनों को सम्मानित करना न सिर्फ एक औपचारिक आयोजन था, बल्कि उस जमीनी सेवा को प्रणाम था, जो इन बहनों ने वर्षों से निःस्वार्थ भाव से निभाई है।

विधायक भावना बोहरा ने अपने संबोधन में मितानिनों के दायित्व, त्याग और उनकी असाधारण भूमिका को जिस तरह उजागर किया, वह इस बात का संकेत है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में उनकी भागीदारी न केवल महत्वपूर्ण, बल्कि अपरिहार्य है। प्रसव से लेकर टीकाकरण तक, कुपोषण से लेकर महामारी के दौरान जनजागरूकता तक—हर संकट की घड़ी में सबसे पहले पहुंचने वाली मितानिन बहनें ही हैं। वे केवल स्वास्थ्य कार्यकर्ता नहीं, बल्कि सामुदायिक विश्वास की जीती-जागती मिसाल हैं, जो सीमित संसाधनों में भी लोगों के जीवन को सुरक्षा प्रदान करती हैं।

ग्रामीण समाज में स्वास्थ्य व्यवहार बदलने में मितानिनों के योगदान को आज सरकारी आँकड़े भी प्रमाणित करते हैं—बढ़ती संस्थागत प्रसूति, बेहतर टीकाकरण कवरेज, पोषण-जागरूकता में वृद्धि और संक्रामक बीमारियों के प्रति सजगता इनकी मेहनत की ही देन है। वे सरकार और जनता के बीच वह मजबूत सेतु हैं, जिसके सहारे स्वास्थ्य योजनाएँ अंतिम पायदान तक पहुँच पाती हैं।

राज्य सरकार द्वारा मितानिनों के प्रशिक्षण, मानदेय, उपकरण और डिजिटल सुविधा बढ़ाने की पहल स्वागतयोग्य है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में स्वास्थ्य ढाँचे को मजबूत करने के प्रयास ध्यान देने योग्य हैं, लेकिन यह भी सच है कि मितानिनों की जिम्मेदारियों और उनकी अपेक्षाओं के बीच अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। सम्मान के साथ उनके कार्यशर्तों और सुविधा-संसाधनों को व्यावहारिक रूप से मजबूत करना ही वास्तविक परिवर्तन की दिशा होगी।

मितानिन दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं—यह उन हजारों महिलाओं को प्रणाम करने का अवसर है, जो असल मायने में स्वास्थ्य सेवा की प्रथम प्रहरी हैं। समाज और सरकार दोनों का दायित्व है कि इन अनदेखी नायिकाओं की आवाज़ सुनी जाए, उनके श्रम को उचित मान मिले और उनके योगदान को लगातार सम्मानित किया जाए।

मितानिनों की यह सेवा-गाथा हमें याद दिलाती है कि एक स्वस्थ समाज केवल अस्पतालों से नहीं बनता—यह उन लोगों की प्रतिबद्धता से बनता है जो बिना शोर किए, बिना दिखावों के, मानवता की रक्षा में डटे रहते हैं।

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आप सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं एवं वर्तमान में India News के जिला ब्यूरोचीफ के रूप में काम कर रहे हैं। आप सॉफ्टवेयर डेवलपर एवं डिजाइनर भी हैं।

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