बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह बिंझवार की 167वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रविवार को विकास नगर, 27 खोली में प्रातः 11 बजे किया गया। इस अवसर पर पूर्व विधायक और जिला मुख्य आयुक्त स्काउट एंड गाइड सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने वीर नारायण सिंह को नमन करते हुए उनके बलिदान को याद किया।
वीर नारायण सिंह का बलिदान
पूर्व विधायक श्री चंद्रप्रकाश बाजपेयी ने बताया कि वीर नारायण सिंह को 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के जय स्तंभ चौक पर डिप्टी कमिश्नर इलियट के आदेश पर अंग्रेज अधिकारियों लेफ्टिनेंट स्मिथ और लेफ्टिनेंट पियर ने 101 सैनिकों की उपस्थिति में सार्वजनिक फांसी दी थी। उन्होंने कहा कि वीर नारायण सिंह का दोष केवल इतना था कि उन्होंने अकाल पीड़ित जनता के लिए अंग्रेजी हुकूमत से मदद की गुहार लगाई थी।
जनता के लिए किया संघर्ष
1856 में सोनाखान जमींदारी में पड़े भयंकर अकाल के दौरान वीर नारायण सिंह ने अपना सारा अनाज जनता में बांट दिया। लेकिन जब यह पर्याप्त नहीं हुआ, तो उन्होंने व्यापारियों और डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर डेढ़ गुना अनाज वापस करने की अपील की। कोई सहायता न मिलने पर उन्होंने गोदामों से अनाज निकलवाकर भूखे लोगों में बंटवा दिया। इस पर अंग्रेजों ने उन्हें डाका डालने और हत्या का झूठा आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया।
जेल से भागने के बाद वीर नारायण सिंह ने 500 आदिवासियों की सेना बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। अंग्रेज अफसर स्मिथ की चाल में फंसकर जब उन्होंने वार्ता के लिए मुलाकात की, तो उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। विद्रोह के आरोप में उन पर मुकदमा चलाया गया और मौत की सजा सुनाई गई।
श्रद्धांजलि और स्मरण
कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों ने दो मिनट का मौन धारण कर वीर नारायण सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर श्री चंद्रप्रकाश बाजपेयी के अलावा डॉ. उषा किरण बाजपेयी, ओंकार पटेल, चंद्र प्रदीप बाजपेयी, मनहरन पुरी गोस्वामी, शैलेन्द्र शुक्ला, रुचि तिवारी, डीओसी महेन्द्र बाबू टंडन, कुलभूषण कुर्रे, तुषार नायक, चंद्रशेखर पंकज, विनोद मिश्रा, विश्वास यादव, आदित्य शर्मा, अक्षय श्रीवास, रामनारायण पटेल, पायल कश्यप, रागिनी वर्मा, पिंकी मानिकपुरी, रिया वर्मा, किरण यादव और प्रिया साहू सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
सभा में वीर नारायण सिंह के अदम्य साहस और उनके बलिदान को प्रेरणादायक बताते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।