कवर्धा। हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी के अवसर पर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि जो तत्व किसी वस्तु की सत्ता और उपयोगिता को निर्धारित करता है, वही धर्म है। मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण आदि में वर्णित “धारणात् धर्मः” का संदर्भ देते हुए उन्होंने बताया कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, अव्यक्त और परमात्मा तक सभी को धारण करने वाला तत्व ही धर्म है। कठोपनिषद और बौद्ध ग्रंथों में भी आत्मा को धर्म कहा गया है।
उन्होंने आगे कहा कि लौकिक और पारलौकिक उत्थान तथा मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का नाम ही धर्म है। यज्ञ, दान, तप, व्रत, वर्णधर्म और आश्रम धर्म आदि इसी साध्य कोटि के धर्म के अंतर्गत आते हैं। समाज को मार्गदर्शन देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य में नैतिकता और मूल्यों की स्थापना के बिना सुदृढ़ समाज की कल्पना असंभव है।
हिंदू राष्ट्र अभियान में कवर्धा प्रवास
ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी का 12 से 15 फरवरी तक कवर्धा प्रवास हिंदू राष्ट्र अभियान के तहत हो रहा है। इस अवसर पर सरदार पटेल मैदान में भव्य धर्मसभा का आयोजन किया गया, जिसमें उनके निज सचिव स्वामी श्री निर्विकल्पानंद सरस्वती जी ने विरुदावली प्रस्तुत की। आदित्यवाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री अवधेश नंदन श्रीवास्तव ने संस्था की ओर से स्वागत प्रतिवेदन दिया।
सामाजिक संरचना और मूल्यों पर विमर्श
धर्मसभा में समाज व्यवस्था पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विद्या, बल, वैभव और सेवा के चार स्तंभों से युक्त व्यक्ति सुदृढ़ होता है। विवाह में गोत्र और प्रवर का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने सगोत्र विवाह को निषिद्ध बताया। उन्होंने यह भी कहा कि हम जिस व्यक्ति या कार्य की निंदा करते हैं, उसी के अनुरूप स्वयं निंदनीय बन जाते हैं, जबकि प्रशंसा करने से स्वयं प्रशंसनीय बनते हैं। अतः हमें श्रीमद्भागवत से शिक्षा लेकर निषेध और विधि के माध्यम से सद्मार्ग अपनाना चाहिए।
गौवंश रक्षा पर गंभीर चिंता
गौवंश रक्षा के विषय में उन्होंने कहा कि आधुनिक विकास के नाम पर पृथ्वी के सभी प्राकृतिक तत्वों का तेजी से ह्रास हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो व्यक्ति पहले गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने की बात करते थे, वे अब गौ रक्षकों को गुंडा कहने लगे हैं। इस यंत्रयुग में गौवंश की रक्षा करना कठिन होता जा रहा है, जो समाज के लिए चिंता का विषय है।
धर्मसभा का संचालन श्री ऋषिकेश ब्रह्मचारी ने किया। इस अवसर पर कबीरपंथी समाज ने गाजे-बाजे और कीर्तन के साथ जगद्गुरु शंकराचार्य का भव्य स्वागत किया।