आदित्यवाहिनी द्वारा मनाया जायेगा भगवत्पाद आद्य शंकराचार्य जी का 2531 वां प्राकट्य महोत्सव 

आदित्यवाहिनी द्वारा मनाया जायेगा भगवत्पाद आद्य शंकराचार्य जी का 2531 वां प्राकट्य महोत्सव 

Pushpraj Singh Thakur
Pushpraj Singh Thakur - Editor in Chief 33 Views
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भगवत्पाद आद्य शंकराचार्य जी

कवर्धा। पुरीपीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वती जी महाभाग द्वारा संस्थापित आदित्य वाहिनी कवर्धा के द्वारा आगामी 12 मई को शाम 6:00 बजे स्थानीय अटल बिहारी ऑडिटोरियम में भगवत्पाद आद्यशङ्कराचार्यजी के 2531 वें प्राकट्य महोत्सव का आयोजन किया गया है। जिसमें राष्ट्रीय स्तर के वक्ता आमंत्रित किए गए हैं।

आदित्यवाहिनीउक्ताशय की जानकारी देते हुये आदित्य वाहिनी के जिलाध्यक्ष आशीष दुबे ने अवगत कराया कि सर्वप्रथम भगवान आदि शंकराचार्य का विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन होगा जिसके बाद आमंत्रित वक्ताओं के द्वारा भगवान आदि शंकराचार्य की जीवनी पर प्रकाश डाला जाएगा। मुख्य वक्ता के रूप में पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरु शङ्कराचार्य जी के कृपापात्र शिष्य आचार्य पं. श्री झम्मन शास्त्री (कथाव्यास-व्याख्यान दिवाकर) आयेंगे तथा विशेष अतिथि के रूप में वक्तागण पं. श्री मोहन प्रसाद त्रिपाठी (प्रसिद्ध भगवताचार्य), श्री विजय शर्मा (राष्ट्रीय महामंत्री-आदित्यवाहिनी संगठन) तथा श्री अवधेशनंदन श्रीवास्तव (प्रदेश उपाध्यक्ष आदित्यवाहिनी छ.ग.) होंगे। कार्यक्रम के अंत में समस्त आगंतुकों के लिए भोजन प्रसादी की भी व्यवस्था की गई है।

भगवत्पाद आद्यशंकराचार्य महाभाग ने आज से 2531 वर्ष पूर्व तात्कालीन शासनतंत्र ने जब सनातन संस्कृति को विनष्ट करने का षड्यंत्र किया तथा भारत को खंडित करने का प्रयास किया तब उस संकट काल में इस अनीति के बिरूद्ध शंखनाद करते हुये अल्प समय में ही दिग्विजय यात्रा करते हुये हिन्दुओं के प्रशस्त मानबिन्दुओं की रक्षा करते हुये व्यासपीठ एवं शासनतंत्र का शोधनकर वैदिक साम्राज्य की स्थापना की। आज तीर्थ, धाम, मठ मंदिर आश्रम जो दिखाई पड़ रहे हैं वे उस समय लुप्त हो गये थे उसे पुनः प्रतिष्ठित किया तथा भजन, संकीर्तन , कथा, सत्संग, यज्ञ, पूजन आराधना को भारत में पुनः प्रतिस्थापित किया , इसलिये समग्र हिन्दू समाज के सार्वभौम धर्मगुरु शंकराचार्य ही मान्य हैं । उसी परंपरा में में गोवर्धनमठ पुरी के मान्य 145 वें श्रीमदजगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज कटिबद्ध होकर दिन रात तत्पर हैं। जिन्होंने आगामी साढ़े तीन वर्षों में भारतवर्ष के हिंदू राष्ट्र होने की घोषणा की है जिसमें अब अल्प समय शेष हैं।

शासनतंत्र से धर्मसंघ पीठपरिषद्, आदित्य वाहिनी — आनन्द वाहिनी यह माॅंग करती है कि आदिगुरु शंकराचार्य जी का जन्मकाल 507 ईसा पूर्व घोषित करें क्योंकि उनके जन्म काल को षड्यंत्रपूर्वक आठवीं शताब्दी का बताकर गलत इतिहास का प्रचार किया जा रहा है साथ ही नकली स्वयंभू शंकराचार्य के रूप में जो भ्रमण कर रहे हैं उनपर यथाशीघ्र कठोर कार्यवाही कर रहा उन्हें दंडित किया जावे जो कि व्यासपीठ की उज्जवल परम्परा को विकृत और दूषित करने में संलग्न हैं । इसी प्रकार संस्था ने सनातन धर्म रक्षक आदि शंकराचार्य की जयंती पर अवकाश घोषित करने की भी मांग रखी है।

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Pushpraj Singh Thakur
By Pushpraj Singh Thakur Editor in Chief
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आप सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं एवं वर्तमान में India News के जिला ब्यूरोचीफ के रूप में काम कर रहे हैं। आप सॉफ्टवेयर डेवलपर एवं डिजाइनर भी हैं।

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