शरद पूर्णिमा का पर्व, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, जिससे रोग-निवारण और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह पर्व विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा का मुख्य आकर्षण खीर प्रसाद है, जिसे चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे रखा जाता है और अगली सुबह इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
शरद पूर्णिमा की धार्मिक मान्यताएँ:
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपने सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और पृथ्वी पर अमृत समान किरणें बरसाता है। यह दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा के लिए अति शुभ माना जाता है। विशेष रूप से व्यापारियों और गृहस्थों के लिए यह दिन समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति का पर्व माना जाता है।
खीर का महत्त्व:
शरद पूर्णिमा की रात को बनाई गई खीर को चांदनी रात में रखने का विधान है। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें जब इस खीर पर पड़ती हैं, तो वह औषधीय गुणों से भर जाती है। इस खीर का सेवन करने से तन-मन स्वस्थ रहता है और व्यक्ति को दीर्घायु प्राप्त होती है। खासकर, इस खीर को प्रसाद के रूप में सुबह ग्रहण करने से मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
शरद पूर्णिमा 2024: तिथि और समय
इस वर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व रात 8:40 बजे से प्रारंभ होगा और इसका समापन 17 अक्टूबर की शाम लगभग 5 बजे होगा। इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण रहेगा, जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
लक्ष्मी पूजन और अन्य विधि-विधान:
शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
– पूजा का समय: रात 11:42 बजे से 12:32 बजे तक
– स्नान और दान का समय : सुबह 04:42 बजे से 05:32 बजे तक रहेगा।
धार्मिक अनुष्ठान और दान का महत्त्व:
इस दिन गंगा स्नान, दान और उपवास रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेषकर, गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
समाप्ति: इस प्रकार, शरद पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है, जो हमें धार्मिकता, भक्ति और दान का संदेश देता है। देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन विधिपूर्वक पूजन और दान करना अत्यंत फलदायी होता है।