बिहार के बेगूसराय जिले में एक सरकारी स्कूल में मुस्लिम शिक्षक द्वारा भगवान हनुमान को मुसलमान और नमाज पढ़ने वाला बताने का मामला सामने आया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। यह घटना बछवारा प्रखंड के कद्राबाद हरिपुर गांव की है, जहां मोहम्मद जियाउद्दीन नामक शिक्षक ने सातवीं कक्षा के बच्चों को यह आपत्तिजनक जानकारी दी। इस घटना से छात्रों और उनके अभिभावकों में गहरा आक्रोश फैल गया।
विवाद की शुरुआत:
7वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाते समय मोहम्मद जियाउद्दीन ने यह दावा किया कि भगवान हनुमान मुसलमान थे और नमाज पढ़ते थे। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम ने हनुमान को नमाज पढ़ने की शिक्षा दी थी। जब बच्चों ने घर जाकर इस बात की जानकारी अपने परिजनों को दी, तो वे बेहद नाराज हो गए और विद्यालय जाकर हंगामा करने लगे। अभिभावकों के विरोध के बाद शिक्षक ने अपनी बात पर माफी मांगी।
प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया:
इस घटना की जानकारी मिलते ही बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और इस तरह की शिक्षा समाज में वैमनस्य फैलाने का काम करती है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस शिक्षक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
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घटना के बाद स्थिति:
विद्यालय में छात्रों और अभिभावकों के हंगामे के बाद शिक्षक ने अपनी टिप्पणी पर माफी मांगी और सफाई दी। इसके बावजूद, अभिभावकों का आक्रोश कम नहीं हुआ और उन्होंने जिला प्रशासन से शिक्षक के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की। इस मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें बच्चे शिक्षक के विवादित बयान की पुष्टि करते दिख रहे हैं।
समाज में विवाद:
यह घटना शिक्षा और धर्म के संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा को एक नए स्तर पर ले गई है। जहां एक ओर शिक्षक का यह बयान समाज में वैमनस्य फैलाने का कारण बना, वहीं दूसरी ओर यह घटना यह भी दिखाती है कि धार्मिक विषयों पर स्कूलों में सिखाई जाने वाली जानकारी कितनी महत्वपूर्ण और संवेदनशील होती है।
निष्कर्ष:
इस मामले ने समाज में धार्मिक विवाद और सांप्रदायिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस तरह की घटनाओं से न केवल शैक्षणिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है, बल्कि यह समाज में अशांति का कारण भी बनती है। जिला प्रशासन से इस पर उचित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।