छत्तीसगढ़ में गणेश झांकी पर डीजे पर प्रतिबंध: प्रशासन का सख्त रवैया, समितियों की मांग खारिज

Harsh Dongre
Harsh Dongre - Editor Kanker 31 Views
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस बार गणेश विसर्जन के दौरान झांकी में डीजे बजाने पर प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के आधार पर प्रशासन ने डीजे और ध्वनि प्रदूषण पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके चलते रायपुर सहित अन्य जिलों में गणेश समितियों की ओर से की गई डीजे बजाने की मांग को खारिज कर दिया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नियमों का पालन न करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, और इस फैसले का उल्लंघन करने पर वाहनों की जब्ती की जाएगी।

गणेश समितियों का कहना है कि यह फैसला उनकी पुरानी परंपरा और उत्सव की धूमधाम पर आघात है। रायपुर के गणेश उत्सव में डीजे और धुमाल का मुख्य आकर्षण रहा है, और हर साल विसर्जन के दौरान झांकी में डीजे और धुमाल बजते रहे हैं। इस बार प्रशासन की ओर से डीजे की अनुमति न मिलने पर समितियां काफी असंतुष्ट हैं। कई समितियों ने चेतावनी दी है कि यदि डीजे बजाने की अनुमति नहीं मिली, तो वे झांकी नहीं निकालेंगे।

समितियों की नाराजगी

रायपुर धुमाल संघ के अध्यक्ष गोतम महांनंद ने बताया कि इस बार कोई डीजे या धुमाल नहीं बजेगा, क्योंकि प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि हम लोग हड़ताल पर हैं और जब तक प्रशासन से लिखित अनुमति नहीं मिलती, तब तक कोई काम नहीं करेंगे। गणेश चतुर्थी में ही डीजे और धुमाल वालों का मुख्य काम होता है, और इस बार प्रशासन के फैसले से उनका काम प्रभावित हो रहा है।

समितियों के सदस्यों ने डिप्टी सीएम विजय शर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल और विधायक पुरंदर मिश्रा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से बातचीत कर अनुमति की मांग की, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर फिलहाल कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है।

प्रशासन का कड़ा रुख

रायपुर के एडीएम देवेंद्र पटेल ने कहा कि झांकी को लेकर सभी तैयारियां पूरी हैं और हर बार की तरह इस बार भी झांकी निकलेगी। प्रशासन की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि हाईकोर्ट के निर्णय का सख्ती से पालन कराया जाएगा। डीजे और ध्वनि प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले ने बताया कि गणेश झांकी उत्सव के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किया गया है और समितियों से बातचीत जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार निर्णय लिया जाएगा, लेकिन नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

राजनांदगांव में झांकी पर विवाद

राजनांदगांव में गणेश विसर्जन की झांकी के लिए हर साल परंपरागत रूप से डीजे और साउंड सिस्टम का इस्तेमाल होता रहा है। लेकिन इस बार प्रशासन के सख्त रुख के चलते वहां की गणेश समितियों ने झांकी नहीं निकालने का फैसला किया है। जिला प्रशासन ने ध्वनि सीमा 55 डेसीबल से अधिक होने पर कार्रवाई का आदेश दिया है और झांकी निकालने वाली सभी समितियों को शपथपत्र देने के निर्देश दिए गए हैं।

राजनांदगांव झांकी समिति के सदस्य शुभम शुक्ला ने बताया कि चार दौर की बातचीत के बावजूद बैठक का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है, और इसलिए झांकी नहीं निकाली जाएगी। कलेक्टर और एसपी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर डीजे और साउंड सिस्टम का इस्तेमाल किया गया तो कार्रवाई होगी, भले ही वह अगले दिन की जाए।

गणेश झांकी का इतिहास

रायपुर में झांकी निकालने की परंपरा कई दशकों पुरानी है। वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट गोकुल सोनी बताते हैं कि करीब 60-70 साल पहले रायपुर में झांकियां बैलगाड़ियों से निकाली जाती थीं, जिन्हें केला पत्तों से सजाया जाता था। उस दौर में लाइट की व्यवस्था नहीं होती थी, इसलिए मशालों का इस्तेमाल किया जाता था। धीरे-धीरे समय बदला और विसर्जन का स्थान भी बदलता गया। पुराने समय में गड़वा बजा और मांदर की थाप पर भजन करते हुए झांकियां निकाली जाती थीं, और यह दृश्य पूरे शहर के लिए आनंद का स्रोत होता था।

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