जगदलपुर: विकास की बातें करते समय बस्तर जैसे क्षेत्रों की कठिनाइयों का जिक्र अक्सर छूट जाता है। यहां के ग्रामीण आज भी शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं। नारायणपुर विधानसभा के शोर गांव पंचायत में, जो जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप के गृह ग्राम से महज 10 किलोमीटर दूर है, लोग पीढ़ियों से झरियों और नालों के किनारे गड्ढे खोदकर पानी निकालने को विवश हैं।
नेताओं के वादे और ग्रामीणों की निराशा
चुनाव के समय जब नेता वोट मांगने आते हैं, तो ग्रामीण पानी की समस्या की ओर ध्यान खींचते हैं। लेकिन जीतने के बाद उनकी समस्याएं अक्सर अनदेखी की जाती हैं। स्थानीय निवासियों ने लल्लूराम डॉट कॉम की टीम से अपनी पीड़ा साझा की, बताते हुए कि चुनावी वादे चुनावी मौसम में ही ठहरे रहते हैं। गर्मियों में समस्या और बढ़ जाती है, जब नाले सूख जाते हैं और ग्रामीण बदबूदार पानी पीने को मजबूर होते हैं।
अधूरी पानी की टंकी का निर्माण
शोर गांव में चार साल पहले पानी की टंकी का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन अब तक यह अधूरा है। यहां एक हैंडपंप तो है, लेकिन उससे निकलने वाला पानी भी पीने लायक नहीं है। सिंचाई की स्थिति भी चिंताजनक है, और खेती पूरी तरह से बारिश पर निर्भर है। इंद्रावती नदी, जो बस्तर की जीवनदायिनी है, गर्मियों में सूख जाती है, जिससे सिंचाई की व्यवस्था प्रभावित होती है।
मंत्री का आश्वासन
नारायणपुर के विधायक और जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि केंद्र की जल जीवन मिशन योजना के तहत काम तेजी से चल रहा है। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार की नाकामियों के कारण कई क्षेत्रों में यह योजना नहीं पहुंच पाई, लेकिन वर्तमान सरकार इसे सुधारने का प्रयास कर रही है।
अब सवाल यह है कि बस्तर के ग्रामीणों को कब तक शुद्ध पेयजल और सिंचाई की सुविधाएं मिलेंगी? क्या यह केवल वादों तक सीमित रह जाएगा, या कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे?