छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज के द्वारा एक बार फिर बड़े प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। 10 तारीख वह दिन है जिसने छत्तीसगढ़ की साय सरकार के सामने भारी चुनौतियां खड़ी कर दी थीं। 10 जून को बलौदा बाजार में हुए उग्र प्रदर्शन में एसपी और डीएम कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया था, और इसके साथ ही सतनामी समाज का गुस्सा और आक्रोश भी हवा में तैरता हुआ दिखाई दिया। यह घटना छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार देखी गई थी।
सतनामी समाज की बड़ी चेतावनी
10 जून को हुए इस उग्र प्रदर्शन के बाद, सतनामी समाज अब राजधानी रायपुर में एक बड़े आंदोलन की तैयारी में है। इस बार सतनामी समाज के लोग जेल भरो आंदोलन की योजना बना रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार के मंत्री और विधायकों की प्रतीकात्मक अर्थी निकालने की भी घोषणा की है। सतनामी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे सनातन धर्म हिंदू का सार्वजनिक रूप से बहिष्कार/ परित्याग भी कर सकते हैं।
आंदोलन की संभावनाएं और प्रभाव
सतनामी समाज की यह चेतावनी सरकार के लिए एक गंभीर संदेश है। यह आंदोलन छत्तीसगढ़ की राजनीति और सामाजिक ढांचे पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। सरकार के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह सतनामी समाज की समस्याओं का समाधान निकाले और उन्हें न्याय दिलाने के लिए गंभीर प्रयास करे, ताकि राज्य में शांति और समृद्धि बनी रहे।
सतनामी समाज का यह कदम छत्तीसगढ़ में एक नया मोड़ ला सकता है। इससे पहले की घटनाओं और वर्तमान चेतावनियों के मद्देनजर, यह आंदोलन राज्य में व्यापक प्रभाव डालने की क्षमता रखता है। सरकार और समाज दोनों के लिए यह समय संवेदनशीलता और समझदारी से काम लेने का है।
10 तारीख एक बार फिर छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन बनने जा रही है। सतनामी समाज के इस आंदोलन का परिणाम क्या होगा, यह देखने की बात होगी, लेकिन यह सुनिश्चित है कि यह दिन छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है।
Source: Chhattisgarh Tak