बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर स्थित घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों में माओवादियों के खिलाफ चलाया जा रहा सुरक्षाबलों का संयुक्त अभियान अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। यह देश का अब तक का सबसे बड़ा माओवादी विरोधी ऑपरेशन माना जा रहा है, जिसमें 10 हजार जवानों ने करीब 1,500 माओवादियों को घेरे में ले लिया है। इस ऑपरेशन में अब तक छह नक्सली मारे गए हैं, जिनमें तीन महिला माओवादियों के शव बरामद हुए हैं।
120 घंटे से जारी मुठभेड़
यह ऑपरेशन बीजापुर के उसूर थाना क्षेत्र अंतर्गत कोत्तापल्ली गांव के कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में बीते पांच दिनों से लगातार जारी है। जवानों और नक्सलियों के बीच रुक-रुककर गोलीबारी हो रही है, जबकि हेलीकॉप्टर से बमबारी कर नक्सलियों के ठिकानों को तबाह किया जा रहा है। अब तक तीन शवों के साथ हथियार भी बरामद किए गए हैं।
गर्मी से जूझते जवान, 40 से अधिक अस्पताल में भर्ती
तेज गर्मी और दुर्गम पहाड़ियों में चल रहे अभियान में सुरक्षाबलों को मौसम की भी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 44 डिग्री तापमान में मुठभेड़ के दौरान अब तक 40 से ज्यादा जवान लू और डिहाइड्रेशन के कारण बीमार हो चुके हैं, जिन्हें तेलंगाना के वेंकटपुरम अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
कोर एरिया को घेरने की कोशिश, नक्सली बैकफुट पर
सुरक्षाबलों का लक्ष्य माओवादियों के मजबूत गढ़ – कर्रेगुट्टा, दुर्गमगट्टा, कोत्तापल्ली, धर्मावरम और नम्बी जैसे क्षेत्रों तक पहुंचना है, जहां छत्तीसगढ़ और तेलंगाना स्टेट कमेटी के सैकड़ों नक्सली छिपे हुए हैं। भारी भरकम हथियारों से लैस ये माओवादी पहाड़ियों की ऊंचाई का फायदा उठाकर लड़ाई की तैयारी में हैं। हालांकि, रसद और पानी की कमी अब उनके लिए मुश्किल खड़ी कर रही है।
IED की चपेट में आया DRG जवान, स्थिति स्थिर
गलगम-नड़पल्ली क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए सीरियल IED की चपेट में आकर डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) का एक जवान घायल हुआ है। उसे प्राथमिक उपचार के बाद स्थिति स्थिर बताई जा रही है।
वेंकटपुरम से हो रहा ऑपरेशन का संचालन, हाईटेक तकनीक का सहारा
यह ऑपरेशन तेलंगाना के मुलुगु जिले के वेंकटपुरम से नियंत्रित किया जा रहा है। चेरला गांव को लॉन्च पैड बनाया गया है, जहां से MI-17 हेलीकॉप्टरों के जरिए जवानों और रसद की आपूर्ति की जा रही है। निगरानी के लिए ड्रोन, हेली कैमरे, नाइट विजन थर्मल और इन्फ्रारेड तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
TCOC के दौरान माओवादी बैकफुट पर
पतझड़ के मौसम में जंगलों की विजिबिलिटी बेहतर होने के चलते माओवादी TCOC (Tactical Counter Offensive Campaign) चलाते हैं। लेकिन इस बार सुरक्षाबलों की रणनीतिक तैनाती और लगातार दबाव के चलते माओवादी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।
IG सुंदरराज ने बताया निर्णायक मोर्चा
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने इस ऑपरेशन को माओवादियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई बताया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों की तैयारी और संयोजन बेहद सटीक है, और इस अभियान से माओवादी नेटवर्क को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।
देश में माओवादी गतिविधियों को खत्म करने की दिशा में यह ऑपरेशन एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। सुरक्षाबलों की रणनीति, तकनीकी इस्तेमाल और संयोजन से यह अभियान माओवादियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। आने वाले दिनों में यह ऑपरेशन माओवाद पर कड़ा प्रहार साबित हो सकता है।