डीएमएफ घोटाला: पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर माया वारियर गिरफ्तार, ईडी ने कोर्ट से 7 दिन की रिमांड ली

Harsh Dongre
Harsh Dongre - Editor Kanker 43 Views
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रायपुर – छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डीएमएफ (जिला खनिज फाउंडेशन) घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर माया वारियर को गिरफ्तार कर लिया है। माया वारियर पर डीएमएफ फंड के दुरुपयोग और अनियमितताओं का आरोप है, जिसके चलते उन्हें रायपुर के विशेष न्यायालय में पेश किया गया। न्यायालय ने माया वारियर को 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड पर ईडी को सौंप दिया है। अब उन्हें 23 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में रखा जाएगा, जहां उनसे पूछताछ की जाएगी। माना जा रहा है कि पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं।

माया वारियर का करियर और विवादित भूमिका

माया वारियर कोरबा जिले में आदिवासी विकास विभाग में परियोजना प्रशासक और सहायक आयुक्त के पद पर तैनात थीं। इससे पहले वे दुर्ग जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग में सहायक संचालक के पद पर कार्यरत थीं। कोरबा में कलेक्टर रानू साहू के कार्यकाल के दौरान उनका तबादला कोरबा हुआ था और तब से वे वहां पदस्थ थीं। डीएमएफ फंड के दुरुपयोग के आरोप माया वारियर पर लंबे समय से लगते रहे हैं।

डीएमएफ फंड के अनियमित खर्च के आरोप

माया वारियर पर कोरबा में डीएमएफ फंड का अनियमित और अव्यवस्थित तरीके से खर्च करने के आरोप हैं। डीएमएफ फंड का उद्देश्य खनिज क्षेत्रों में प्रभावित लोगों के कल्याण और विकास के लिए उपयोग करना होता है, लेकिन माया वारियर और अन्य अधिकारियों पर इस फंड का गलत तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप है। ईडी ने साल 2022 में भिलाई स्थित जुनवानी इलाके में चौहान टाउन में माया वारियर के घर पर छापा मारा था, जिसमें कई अहम दस्तावेज और जानकारियां हाथ लगी थीं।

ईडी की कार्रवाई और कोर्ट में पेशी

ईडी द्वारा माया वारियर की गिरफ्तारी के बाद उन्हें रायपुर के विशेष न्यायालय में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें 7 दिन की रिमांड पर सौंपा है, जिससे 23 अक्टूबर तक ईडी उनसे पूछताछ करेगी। इस पूछताछ के दौरान डीएमएफ फंड घोटाले से जुड़े अन्य अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आने की संभावना है। ईडी की टीम इस मामले में व्यापक जांच कर रही है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

रानू साहू के कार्यकाल में विवादित भूमिका

माया वारियर की भूमिका विशेष रूप से रानू साहू के कार्यकाल में संदिग्ध मानी जा रही है। जब रानू साहू कोरबा जिले की कलेक्टर थीं, उस समय माया वारियर ने डीएमएफ फंड का बड़ा हिस्सा विभिन्न योजनाओं में खर्च किया था, जिसके बाद से उन पर आरोप लगने शुरू हुए। ईडी की जांच में भी यह सामने आया है कि माया वारियर ने फंड का उपयोग योजनाओं के विपरीत तरीके से किया।

आने वाले दिनों में और खुलासे संभव

माया वारियर की गिरफ्तारी के बाद अब ईडी इस घोटाले से जुड़े अन्य पहलुओं की जांच में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि माया वारियर से पूछताछ के बाद डीएमएफ घोटाले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। इस घोटाले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र में खलबली मचा दी है। ईडी की इस कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्ष ने इस घोटाले पर सरकार को निशाने पर लिया है।

निष्कर्ष

डीएमएफ घोटाला छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिसमें सरकारी अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। माया वारियर की गिरफ्तारी इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है, और आने वाले दिनों में इस घोटाले से जुड़े और भी नामों का खुलासा हो सकता है। ईडी की जांच और कोर्ट की सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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