कवर्धा: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इस वर्ष लगभग 15-17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई की गई है। प्रारंभिक चरण में वर्षा की अनियमितता के बाद, पिछले सप्ताह हुई अच्छी वर्षा ने सोयाबीन की फसलों की स्थिति को बेहतर बना दिया है। इस संबंध में किसानों को कुछ महत्वपूर्ण सलाह दी जा रही है।
जहां सोयाबीन की फसल 15-20 दिन की हो चुकी है और अभी तक किसी भी प्रकार के खरपतवार नाशक का प्रयोग नहीं किया गया है, वहां खरपतवार नियंत्रण के लिए अनुशंसित खड़ी फसल में प्रोपाकिव्जाफॉप 2.6% + इमेझाथापायर 3.75% एमई का 768 ग्राम/एकड़ या अन्य समान तकनीकी उत्पाद का छिड़काव करें। इससे फसल को खरपतवार से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, जहां फसल 15-20 दिन की हो गई है, वहां पत्तियों को खाने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए फूल आने से पहले सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (60 मि.ली./एकड़) या कोरिन और समान तकनीकी उत्पाद का छिड़काव करें। इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से फसल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
इस समय तना मक्खी के प्रकोप की संभावना भी रहती है। इसके नियंत्रण के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड सी (50 मि.ली./एकड़) या एलिका जैसे समान तकनीकी उत्पाद का छिड़काव करें।
कृषकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेतों की सतत् निगरानी करते रहें। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर तुरंत क्षेत्रीय कृषि अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें। यह समय फसल की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण है, और उचित ध्यान देने से उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है।