छत्तीसगढ़ के पश्चिम बस्तर क्षेत्र में बचेली से बीजापुर और गढ़चिरौली तक 490 किमी लंबी नई रेल लाइन बिछाने की योजना पर नक्सलियों ने विरोध जताया है। पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के नक्सली नेता और सचिव मोहन ने एक पर्चा जारी कर इस परियोजना के खिलाफ अपनी चिंताओं को साझा किया है।
पर्चे में मोहन ने आरोप लगाया है कि नई रेल लाइन बिछाने के लिए आदिवासियों की जमीन को अधिग्रहित किया जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों को उनके घरों से बेघर होना पड़ेगा। इसके साथ ही, जंगलों को भी नुकसान पहुंचाए जाने की बात की गई है, जिससे जानवरों और इंसानों दोनों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा। मोहन ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य केवल बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुँचाना है।
पर्चे में यह भी उल्लेखित किया गया है कि इस परियोजना के कारण आदिवासी संस्कृति और प्राकृतिक संसाधन भी खतरे में हैं। मोहन ने आरोप लगाया कि सवारी बसों और यात्री गाड़ियों को भी इस परियोजना से कोई लाभ नहीं होगा। इसके अलावा, तीसरे सर्वे के लिए अधिकारियों और विभागीय कर्मचारियों को जनअदालत में खड़ा कर उन्हें दंडित करने की धमकी दी गई है।
मोहन ने उदाहरण के तौर पर बैलाडीला खनन का हवाला देते हुए कहा कि इससे 22 गांवों के 22 हजार से ज्यादा लोगों को विस्थापित किया गया था और लाल पानी जैसे समस्याओं का सामना करना पड़ा। नक्सलियों ने सरकार से सवाल उठाया कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है और किस प्रकार की जवाबदेही तय की जाएगी।
इस विरोध के बीच, सरकारी अधिकारियों और विभागों को इस परियोजना के प्रभावों का ध्यान रखते हुए उचित कदम उठाने की सलाह दी जा रही है।