कवर्धा शहर के विकास और सुव्यवस्थित यातायात के लिए प्रशासन जब-तब योजनाएँ बनाता है, लेकिन जब उन्हीं योजनाओं पर रसूखदारों की मनमानी हावी हो जाती है, तो आम नागरिकों को न्याय के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ता है। हाल ही में वार्ड क्रमांक 26 के नागरिकों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर हाईटेक बस स्टैंड जाने वाले मार्ग पर हो रहे अवैध अतिक्रमण को हटाने की मांग की है।
शासकीय भूमि पर कब्जे की बढ़ती प्रवृत्ति
घोठिया फार्म हाउस के पास शासकीय भूखंडों पर कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा अवैध रूप से कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया है। इस निर्माण से न केवल मार्ग संकरा हो गया है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान हो रहा है। वार्डवासियों का आरोप है कि 8-10 रसूखदारों ने अलग-अलग स्थानों पर शासकीय भूमि पर कब्जा कर अवैध रूप से व्यावसायिक परिसरों का निर्माण किया और किराए पर चढ़ा दिया। इससे सरकारी भूमि पर निजी स्वार्थों का खेल खुलेआम खेला जा रहा है, लेकिन प्रशासन अब तक मूकदर्शक बना हुआ है।
इस अतिक्रमण से नाराज वार्डवासियों ने कलेक्टर को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर सरकारी भूमि को मुक्त नहीं कराया गया, तो वे चक्काजाम और धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे।
प्रशासनिक तंत्र पर उठते सवाल
यह घटना प्रशासन की सुस्ती और रसूखदारों को मिल रहे अप्रत्यक्ष संरक्षण पर भी सवाल खड़े करती है। यदि आम नागरिक के छोटे-से निर्माण पर प्रशासनिक अमला तुरंत सक्रिय हो जाता है, तो बड़े भूखंडों पर अवैध कॉम्प्लेक्स निर्माण कैसे नजरअंदाज हो रहा है? क्या नियम-कायदे केवल आम जनता के लिए हैं, जबकि प्रभावशाली लोग सरकारी जमीनों पर कब्जा कर मुनाफा कमाने के लिए स्वतंत्र हैं?
अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता दिखाता है। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला सिर्फ एक वार्ड तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अवैध अतिक्रमण के खिलाफ जनसंगठनों और नागरिक आंदोलनों को जन्म दे सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस प्रकरण को गंभीरता से लेकर तुरंत अवैध कब्जों को हटाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में सरकारी भूमि पर इस प्रकार के अतिक्रमण की पुनरावृत्ति न हो।