कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के तीन प्रमुख धान खरीदी केंद्रों—भानुप्रतापपुर, केंवटी और हाटकोंदल—में 2.28 करोड़ रुपये के धान घोटाले का खुलासा हुआ है। इन केंद्रों से 10.83 लाख रुपये के बारदाने भी गायब पाए गए हैं। यह मामला तब सामने आया जब राइस मिलरों को धान देने के बाद ऑनलाइन पोर्टल पर धान की उपलब्धता की जानकारी सही नहीं मिली।
वर्ष 2023-24 के दौरान, केंवटी खरीदी केंद्र में 56,771 क्विंटल, भानुप्रतापपुर में 43,720 क्विंटल और हाटकोंदल में 42,902 क्विंटल धान खरीदी गई थी। धान का वितरण राइस मिलरों को किया गया, और ऑनलाइन पोर्टल में कुल धान की मात्रा और मिलरों द्वारा उठाए गए धान का आंकड़ा दर्ज होता रहा।
ऑनलाइन डेटा के अनुसार:
– केंवटी केंद्र से 53,245 क्विंटल धान उठाया गया
– भानुप्रतापपुर से 41,638 क्विंटल धान उठाया गया
– हाटकोंदल से 41,129 क्विंटल धान उठाया गया
हालांकि, ऑनलाइन पोर्टल में दिखाए गए आंकड़े के विपरीत, तीनों केंद्रों में वास्तविकता यह थी कि धान की कोई भी मात्रा उपलब्ध नहीं थी। जब भौतिक सत्यापन किया गया, तो पता चला कि कुल 7,380 क्विंटल धान गायब था, जिसकी कीमत 2 करोड़ 28 लाख रुपये है। इसके अलावा, 14,643 बारदाना भी गायब पाया गया, जिसकी कुल कीमत 10.83 लाख रुपये है। केंवटी से 7,974 बारदाना, भानुप्रतापपुर से 3,453 और हाटकोंदल से 3,216 बारदाना गायब है।
इस घोटाले की शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर कांकेर ने 27 अगस्त को तीनों धान खरीदी केंद्रों के समिति प्रबंधक, खरीदी बारदाना प्रभारी और कम्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। एफआईआर के निर्देश प्राप्त करने वाले अधिकारियों में केंवटी समिति प्रबंधक मनोहर महावीर, खरीदी प्रभारी अनिल टांडिया, बारदाना प्रभारी पवन दुग्गा, भानुप्रतापपुर प्रबंधक लवन कश्यप, खरीदी प्रभारी चेतन नेताम, ऑपरेटर ताराचंद साहू, बारदाना प्रभारी और हाटकोंदल के समिति प्रबंधक लवन कश्यप, खरीदी प्रभारी प्रेम सलाम, ऑपरेटर भूपेश पटेल और बारदाना प्रभारी वेद हिड़को शामिल हैं।
भानुप्रतापपुर टीआई रामेश्वर देशमुख ने बताया कि मामले के संबंध में एफआईआर के साथ हाईकोर्ट के दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए हैं। इससे साफ है कि मामला पहले से ही लंबित है। उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लिया जाएगा। आरोपियों ने भी हाईकोर्ट की शरण ली है और उनका कहना है कि खरीदी केंद्रों से धान उठाने में 72 घंटे की समय सीमा समाप्त हो गई थी, जिसके कारण धान सूख गया। धान बफर लिमिट से अधिक था और 28 फरवरी तक उठाने का समय था, लेकिन जुलाई तक धान उठाया जाता रहा।