छत्तीसगढ़ के जागेश्वर यादव को पद्मश्री: त्याग, समर्पण और संघर्ष से जुड़ी इस जनजाति का किया उत्थान

जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए जशपुर में एक आश्रम की स्थापना की है. साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी..

Pushpraj Singh Thakur
Pushpraj Singh Thakur - Editor in Chief 33 Views
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पद्म पुरस्कार। 2024 के पद्म पुरस्कार की घोषणा हो गई है. इसमें 132 प्रतिष्ठित शख्सियतों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. छत्तीसगढ़ की बात करें तो इस साल यहां से तीन लोगों को पद्मश्री पुरस्कार मिला है. इसमें जागेश्वर यादव, रामलाल बरेठ और हेमचंद मांझी का नाम शामिल है।  जागेश्वर यादव की बात करे तो वो जशपुर के आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने बिरहोर और पहाड़ी कोरवा लोगों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।

आदिवासी कल्याणकारी जागेश्वर यादव जशपुर में आश्रम स्थापित करके निरक्षरता को खत्म किया, स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाईं, और कोरोना के दौरान आदिवासियों को वैक्सीन लगवाईं। उनकी अथक सेवा ने आदिवासी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बना दिया है।

जागेश्वर यादव की कहानी:

जागेश्वर यादव जीवन का सफर जशपुर के बिरहोर आदिवासियों की सेवा में जगेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ था, जहां उन्होंने बचपन से ही बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी। उनके जीवन के महत्वपूर्ण फैसले ने आदिवासी समुदाय की समस्याओं का समर्थन किया, जिससे उन्होंने उनके बीच रहना शुरू किया, उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा, और शिक्षा की अलख जगाई। इसके परे, उन्होंने स्कूलों में बच्चों को भेजने के लिए भी पहल की।

1989 से काम कर रहे जागेश्वर यादव:

बिरहोर के भाई: जागेश्वर यादव का समर्पण समाज सेवा में जागेश्वर यादव, जिन्हें ‘बिरहोर के भाई’ कहा जाता है, ने अपने अद्वितीय सेवाभाव से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की भेंट में नंगे पाव चलते हुए अपने समर्पण की मिसाल प्रस्तुत की। उन्हें 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान से सम्मानित किया गया है, जो उनके समाज सेवा में किए गए प्रयासों का परिचायक हैं। उन्होंने जशपुर में एक आश्रम स्थापित किया है और निरक्षरता और स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से आदिवासियों तक सेवाएं पहुंचाईं हैं। उनकी संघर्षशीलता ने कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा और शिशु मृत्यु दर कम करने में मदद की है।

सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक:

जागेश्वर यादव: जुनून से आरंभ, बिरहोर जनजाति के बच्चों को पठनी में मोहित करते आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, जागेश्वर यादव ने समाज में सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए अपने जुनून का सामर्थ्य किया है। उनका दृढ़ संकल्प ने बिरहोर जनजाति के बच्चों को पढ़ाई के माध्यम से समाज में सम्मान और स्थान प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जूतों और दूसरे सामाजिक बाधाओं के बावजूद, उनकी प्रेरणा से अब यह जनजाति के बच्चे भी स्कूल जाने में सक्षम हो रहे हैं।

 

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Pushpraj Singh Thakur
By Pushpraj Singh Thakur Editor in Chief
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आप सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं एवं वर्तमान में India News के जिला ब्यूरोचीफ के रूप में काम कर रहे हैं। आप सॉफ्टवेयर डेवलपर एवं डिजाइनर भी हैं।

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