कांकेर। बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यक हिंदुओं पर किए जा रहे अत्याचार के विरोध में निखिल भारत बंगाली समन्वय समिति द्वारा आयोजित परलकोट महाबंद का व्यापक असर देखा गया। 29 अगस्त 2024 को आयोजित इस महाबंद ने पखांजूर, कापसी, बांदे और ग्रामीण अंचल के 133 गांवों में जबरदस्त समर्थन प्राप्त किया।
रैली और बंद का आयोजन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश देने के लिए किया गया। पखांजूर स्टेडियम में आयोजित सभा में 20,000 से अधिक बंगबंधु एकत्र हुए। सभा के बाद एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें “बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बंद हो” के नारे लगाए गए। इस मौके पर राष्ट्रपति के नाम प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया।
महाबंद का व्यापक असर रहा, पखांजूर, कापसी, और बांदे के साथ ग्रामीण अंचल में सभी दुकानें सुबह से ही स्वस्फूर्त बंद रहीं। परलकोट क्षेत्र के गांव-गांव में लगने वाले साप्ताहिक बाजार भी बंद रहे। हालांकि, बसें और टैक्सी सामान्य दिनों की तरह ही चलती रहीं। निजी स्कूलों में छात्र नहीं पहुंचे, जिसके चलते स्कूलें पूरी तरह से खाली रहीं। शासकीय स्कूलों में भी स्थिति यही रही। बंग समाज के सरकारी कर्मचारियों ने अवकाश लेकर आंदोलन में भाग लिया।
निखिल भारत बंगाली समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुबोध विश्वास ने बताया कि यह आंदोलन महाराष्ट्र से शुरू हुआ था और परलकोट में दूसरी बड़ी सभा के रूप में आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन देशभर में उन जगहों पर होगा जहां बांग्लादेश से विस्थापित हिंदू बसे हुए हैं। इससे पहले, 2016 में अनुसूचित जाति वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर बंग समाज ने एक बड़ा आंदोलन किया था।
सांसद भोजराज नाग ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार केवल बांग्लादेश की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है। उन्होंने समाज से एकजुट होकर इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की और कहा कि जहां भी इस्लामिक कट्टरपंथ बढ़ता है, वहां अन्य धर्मों के लोगों पर अत्याचार होते हैं।
इस महाबंद ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा के लिए भारत सरकार से प्रभावी कदम उठाने की मांग की और सामाजिक एकता और जागरूकता का संदेश दिया।