गर्भवती महिला ने एंबुलेंस में दिया बच्चे को जन्म: 102 की लापरवाही पर परिजनों का आक्रोश

Harsh Dongre
Harsh Dongre - Editor Kanker 39 Views
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दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़: दंतेवाड़ा जिले के गुमलनार गांव में एक गर्भवती महिला ने अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एंबुलेंस के अंदर अपने बच्चे को जन्म दिया। यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर खामियों को उजागर करता है, जहां एक तरफ 102 महतारी एंबुलेंस सेवा ने मदद करने से मना कर दिया, वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के दरवाजे बंद मिलने पर 108 एंबुलेंस के स्टाफ को सड़क पर ही प्रसव कराना पड़ा।

घटना की शुरुआत तब हुई जब शुक्रवार देर रात गुमलनार गांव निवासी घासीराम अटामी की पत्नी पूंगार अटामी की प्रसव पीड़ा अचानक बढ़ गई। जैसे ही परिवार को एहसास हुआ कि स्थिति गंभीर है, उन्होंने तुरंत महतारी 102 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया। लेकिन परिजनों के अनुसार, कर्मचारियों ने आने से इनकार कर दिया और उन्हें डायल-112 पर कॉल करने की सलाह दी।

इससे परेशान परिजनों ने आखिरकार 108 एंबुलेंस सेवा का सहारा लिया। दंतेवाड़ा से ईएमटी रविंद्र कुमार और 108 एंबुलेंस के पायलट अशोक सिंह ठाकुर, मितानिन (स्वास्थ्य कार्यकर्ता) को लेकर तुरंत मौके पर पहुंचे। उस समय महिला की हालत गंभीर थी और वह प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी।

मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए टीम ने जल्दबाजी में पास के तुमनार अस्पताल का रुख किया, लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें निराशा हाथ लगी, क्योंकि अस्पताल का मुख्य दरवाजा बंद था। इस नाजुक परिस्थिति में, एंबुलेंस को सड़क के किनारे रोककर मितानिन और अन्य स्टाफ ने मिलकर महिला का सफलतापूर्वक प्रसव कराया।

प्रसव के तुरंत बाद मां और नवजात को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दोनों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है।

घटना के बाद, महिला के परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मियों के त्वरित और जिम्मेदाराना रवैये की सराहना की, लेकिन साथ ही 102 महतारी सेवा की लापरवाही पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। परिजनों ने मांग की है कि 102 सेवा के उन कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए जिन्होंने इस आपात स्थिति में आने से मना कर दिया, क्योंकि इससे महिला और नवजात के जीवन को गंभीर खतरा हो सकता था।

यह घटना एक बार फिर से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाल स्थिति को उजागर करती है, जहां समय पर चिकित्सा सहायता न मिल पाने के कारण कई बार जीवन-मृत्यु की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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