सरगुजा।
सीतापुर हत्याकांड के मामले में नया मोड़ आ गया है, जब मृतक संदीप लकड़ा की पत्नी शालीमा ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई है। शालीमा ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह अपने दो बच्चों के साथ 2 अक्टूबर को सीतापुर थाना के सामने आत्मदाह करेंगी। ज्ञापन सौंपने के बाद पूरे इलाके में तनाव का माहौल बन गया है, जबकि पुलिस और प्रशासन इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच में जुट गए हैं।
संदीप लकड़ा, जो कि ग्राम बेलजोरा, थाना सीतापुर क्षेत्र का निवासी था, तीन महीने से लापता था। परिजनों ने उसकी हत्या की आशंका जताते हुए पहले ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन मामला तब दर्ज हुआ जब आदिवासी समाज ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। करीब तीन महीने बाद संदीप का शव मैनपाट के ग्राम लुरैना में एक पानी की टंकी के नीचे पाया गया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी
हालांकि, इस मामले का मुख्य आरोपी अभिषेक पांडेय और उसका सहयोगी ड्राइवर अब तक फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी में देरी होने से आदिवासी समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आदिवासी समाज ने अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है और अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रशासन पर दबाव बना रहा है। समाज ने यह भी निर्णय लिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक संदीप का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई
आदिवासी समाज के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए हाल ही में सरगुजा आईजी ने सीतापुर थाना के उपनिरीक्षक और एक आरक्षक को निलंबित कर दिया है। इसके बावजूद, मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी न होने से आदिवासी समाज का आंदोलन तेज हो रहा है।
आत्मदाह की चेतावनी
इस मामले में संदीप की पत्नी शालीमा ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट किया है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला और मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो वह 2 अक्टूबर को अपने दो बच्चों के साथ सीतापुर थाना के सामने आत्मदाह करेंगी। इस चेतावनी के बाद प्रशासन और पुलिस के बीच हड़कंप मच गया है, और उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कदम उठाने की तैयारी की है।
यह मामला अब प्रशासन और पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया है, क्योंकि एक ओर आदिवासी समाज का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और दूसरी ओर शालीमा द्वारा आत्मदाह की चेतावनी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।