कांकेर (छत्तीसगढ़) – कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के माहला गांव की कहानी कभी नक्सल आतंक की वजह से वीरान हो गई थी। नक्सलियों के भय से यहां के ग्रामीण अपनी जमीन-जायदाद छोड़कर पखांजूर जैसे सुरक्षित स्थानों पर जाकर बस गए थे। उस समय इस गांव में कोई रहने की हिम्मत नहीं करता था, और यह इलाका नक्सलियों के कब्जे में था। लेकिन समय के साथ हालात बदले, जब यहां बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) का कैंप स्थापित किया गया। सुरक्षा व्यवस्था के बेहतर होने के बाद धीरे-धीरे ग्रामीण वापस अपने गांव लौटने लगे, और अब माहला गांव फिर से बस चुका है।
प्रशासन का जनसमस्या निवारण शिविर
कभी नक्सल प्रभावित रहे इस गांव में अब प्रशासनिक गतिविधियां भी शुरू हो चुकी हैं। हाल ही में जिला प्रशासन ने माहला गांव में जनसमस्या निवारण शिविर का आयोजन किया, जिसमें जिला कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर के नेतृत्व में पूरा प्रशासनिक दल गांव पहुंचा। कलेक्टर और अन्य अधिकारियों ने गांव के लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं और उनके निवारण का आश्वासन दिया। इस शिविर के दौरान ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर गहन चर्चा हुई, और प्रशासन ने उनकी समस्याओं का समाधान करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी।
कलेक्टर का ग्रामीणों को आश्वासन
जनसमस्या शिविर के दौरान कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि सरकार का उद्देश्य दूरस्थ और अतिसंवेदनशील गांवों तक हर प्रकार की मूलभूत सुविधाएं पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे, ताकि गांव का पूर्ण विकास हो सके। कलेक्टर ने ग्रामीणों की मांग पर सामुदायिक भवन बनवाने की भी घोषणा की, जिससे गांव में सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
ग्रामीणों की खुशी और उत्साह
कभी नक्सल आतंक के साये में जी रहे माहला के ग्रामीण, अब अपने बीच प्रशासनिक अधिकारियों को पाकर उत्साहित और आश्वस्त नजर आ रहे हैं। जब ग्रामीणों ने कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को अपने गांव में देखा तो उन्हें उम्मीद जगी कि अब उनके गांव का विकास होगा और वे भी शांति और सुरक्षा के माहौल में रह सकेंगे। ग्रामीणों ने प्रशासन द्वारा आयोजित इस शिविर की सराहना की और अपनी समस्याओं को सुलझाने की दिशा में उठाए गए कदमों का स्वागत किया।
समस्याओं का समाधान और विकास की योजनाएं
जनसमस्या शिविर के दौरान ग्रामीणों की कई समस्याओं का समाधान किया गया। इस अवसर पर विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी गई, जिससे ग्रामीणों को योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी चर्चा की गई। प्रशासन ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि इन सभी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रशासन की पहुंच
यह शिविर इस बात का प्रतीक है कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास और सुरक्षा के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। नक्सलवाद से ग्रस्त इलाकों में प्रशासनिक पहुंच बढ़ाकर लोगों का विश्वास जीतना और उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाना सरकार की प्राथमिकता में है। माहला गांव में प्रशासन की यह पहल न केवल ग्रामीणों के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि यह भी दिखाता है कि नक्सल आतंक के दौर के बाद अब इन क्षेत्रों में शांति और विकास की नई शुरुआत हो रही है।
निष्कर्ष: कभी नक्सलवाद के भय से खाली हो चुके माहला गांव में अब प्रशासनिक शिविरों का आयोजन यह संकेत देता है कि सरकार और प्रशासन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास और वहां के लोगों की समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीर है। माहला गांव के लोगों की उम्मीदें अब फिर से जाग गई हैं, और वे आने वाले समय में अपने गांव को विकास की नई ऊंचाइयों पर देखने की उम्मीद कर रहे हैं।