बिलासपुर में टीकाकरण से दो बच्चों की मौत: 5 का इलाज जारी वैक्सीन की सप्लाई रोकी गई, जांच जारी

Harsh Dongre
Harsh Dongre - Editor Kanker 41 Views
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बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड के कोरीपारा गांव में 30 अगस्त को बीसीजी और पेंटावैलेंट टीके लगवाने के बाद दो बच्चों की मौत हो गई। टीकाकरण के बाद दो दिन के नवजात और दो महीने के एक बच्चे की मौत हो गई, जबकि बाकी पांच बच्चों की तबीयत बिगड़ गई है।

घटनाक्रम:

आंगनबाड़ी केंद्र पर 30 अगस्त को दोपहर 12 बजे टीकाकरण अभियान चलाया गया। शाम 7.30 बजे नवजात की मौत हो गई, जबकि दूसरे बच्चे की मौत 31 अगस्त की रात 8 बजे हुई। मृत बच्चों के परिवारों में शोक की लहर है और पांच अन्य बच्चों का इलाज जिला अस्पताल में जारी है।

पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने अस्पताल जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और घटना की गहन जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में कुछ छिपा रही है और कहा कि यदि टीके या दवाइयां अमानक थीं, तो उनका स्टॉक तुरंत रोका जाना चाहिए था।

सरकारी प्रतिक्रिया:

मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने संबंधित बैच के टीकों की सप्लाई पर रोक लगा दी है और वैक्सीन की टेस्टिंग तथा बच्चों का पोस्टमॉर्टम कराने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि इस बैच की वैक्सीन से पहले भी 9000 टीकाकरण हो चुके हैं और किसी शिकायत की रिपोर्ट नहीं आई है। उन्होंने राज्यस्तरीय जांच दल का गठन किया है और इस बैच की वैक्सीन पर फिलहाल प्रतिबंध लगाया गया है।

कांग्रेस का बयान:

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने घटना की जांच के लिए एक छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव को संयोजक बनाया गया है। अन्य सदस्य में दिलीप लहरिया मस्तूरी, पूर्व विधायक शैलेश पांडेय, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी, महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष सीमा घृतेश और कोटा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आदित्य दीक्षित शामिल हैं।

बीसीजी और पेंटावैलेंट टीके:

बीसीजी टीका: यह टीका टीबी (Tuberculosis) से बचाव के लिए होता है और इसे जन्म के तुरंत बाद दिया जाता है। यह टीका 15 वर्षों तक टीबी और अन्य गंभीर बीमारियों से रक्षा करता है।

पेंटावैलेंट टीका:  यह टीका बच्चों को पांच घातक रोगों से बचाता है, जिनमें गलघोटू, काली खांसी, टेटनेस, हेपेटाइटिस बी, और हिमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (हिब) शामिल हैं।

घटना की गंभीरता को देखते हुए, संबंधित अधिकारियों और सरकार से जवाबदेही की मांग की जा रही है और प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए जांच जारी है।

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