कांग्रेस के छत्तीसगढ़ बंद को चेंबर ऑफ कॉमर्स का समर्थन नहीं, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने दी प्रतिक्रिया

Harsh Dongre
Harsh Dongre - Editor Kanker
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रायपुर: छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा 21 सितंबर को आहूत एकदिवसीय राज्यव्यापी बंद को लेकर व्यापारिक और शैक्षणिक संस्थानों में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इस बंद का उद्देश्य प्रदेश में हाल ही में हुई हिंसक घटनाओं और पुलिस प्रताड़ना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना है। हालांकि, *छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज* ने इस बंद को अपना समर्थन नहीं दिया है, जबकि *प्राइवेट स्कूल एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन* ने कहा कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निजी स्कूल अपने संचालन का निर्णय स्वेच्छा से ले सकते हैं।

चेंबर ऑफ कॉमर्स ने क्यों नहीं दिया समर्थन

चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अमर पारवानी और महामंत्री अजय भसीन ने बताया कि उन्हें 20 सितंबर की दोपहर में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी से बंद के समर्थन का आग्रह पत्र प्राप्त हुआ। इतने अल्प समय में कार्यकारिणी की बैठक बुलाना संभव नहीं था, जिसके कारण चेंबर इस बंद का समर्थन करने में असमर्थ है। पारवानी ने कहा कि चेंबर से जुड़े छोटे व्यापारी, रेहड़ी-पटरी व्यवसायी, फल-सब्जी और दूध विक्रेता आकस्मिक बंद से आर्थिक नुकसान झेलते हैं। बिना पूर्व सूचना और व्यवस्थित तैयारी के, ऐसे बंद को समर्थन देना उनके हित में नहीं होगा।

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की प्रतिक्रिया

प्राइवेट स्कूल एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष : राजीव गुप्ता ने कहा कि ऐसे बंद के दौरान आमतौर पर बसें संचालित करने वाले स्कूल बंद रहते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निजी स्कूल संचालक अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए खुद निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। यह बंद, विशेष रूप से, बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, इसलिए स्कूल प्रबंधन को अपने स्तर पर निर्णय लेना होगा।

बंद का कारण और कांग्रेस का पक्ष

कांग्रेस द्वारा बुलाए गए इस बंद का मुख्य कारण *कवर्धा जिले* के बोडला विकासखंड के *रेंगाखार थाना क्षेत्र* में ग्राम लोहारीडीह में हुई हत्या, आगजनी और पुलिस की प्रताड़ना से हुई मौतों को लेकर है। हाल ही में हुई इन घटनाओं से प्रदेश में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। कांग्रेस का आरोप है कि पुलिस प्रताड़ना के कारण तीन लोगों की मौत हो चुकी है, और दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर 21 सितंबर को सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया गया है।

कांग्रेस ने बंद को सफल बनाने के लिए व्यापारिक संगठनों से समर्थन की अपील की थी, परंतु व्यापारिक संगठनों ने इसे समर्थन देने से इनकार कर दिया।

यह बंद प्रदेश में कानून व्यवस्था और बढ़ती अराजकता पर ध्यान आकर्षित करने का एक प्रयास है, लेकिन चेंबर ऑफ कॉमर्स और अन्य संगठनों ने इसे अचानक लिए गए निर्णय के रूप में देखा, जिससे व्यापारियों और नागरिकों को परेशानी हो सकती है।

निष्कर्ष

इस बंद के समर्थन को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। व्यापारिक संगठनों ने आर्थिक नुकसान और अचानक हुए निर्णय के कारण समर्थन से इंकार कर दिया है, जबकि स्कूलों ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपना निर्णय लिया है। बंद के दौरान स्थिति कैसी रहती है, यह आगामी दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।

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