भिलाई, दुर्ग – छत्तीसगढ़ में नगर निगम भिलाई ने सोमवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए मस्जिद के नाम पर किए गए अवैध कब्जे को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई सुबह 5 बजे से शुरू की गई, जिसमें नगर निगम की टीम के साथ ही जिला प्रशासन के उच्च अधिकारी, पुलिस बल और अन्य अधिकारी शामिल थे। इस अभियान के तहत एक मजार, दुकानों, वैवाहिक भवन, और गेट को ध्वस्त कर दिया गया।
नगर निगम की इस कार्रवाई में कुल पांच दुकानों, एक स्वागत द्वार और मस्जिद की बाउंड्री वॉल को तोड़ा गया। इस कार्रवाई के लिए भिलाई नगर निगम के साथ-साथ एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और पुलिस के 100 से अधिक जवानों की टीम सुबह से ही मौके पर मौजूद थी। प्रशासनिक अधिकारी इस बात को सुनिश्चित कर रहे थे कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अवैध कब्जे को हटाया जाए।
हाईकोर्ट का आदेश
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश के बाद की गई, जिसमें दुर्ग कलेक्टर को 120 दिनों के भीतर इस मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने यह आदेश एक याचिका के बाद जारी किया था, जिसमें सैलानी दरबार के नाम पर किए गए इस कब्जे को चुनौती दी गई थी। कोर्ट के निर्देश के अनुसार, भिलाई नगर निगम ने तीन दिन पहले ही नोटिस जारी कर कब्जा खाली करने का आदेश दिया था।
करबला कमेटी का विरोध
वहीं, इस कार्रवाई का करबला कमेटी ने कड़ा विरोध किया है। कमेटी का दावा है कि यह कब्जा वैध है और इसे हटाने की कार्रवाई गलत है। कमेटी का कहना है कि यह स्थान सैलानी दरबार के नाम पर है और इसे गैर कानूनी तरीके से हटाया जा रहा है।
निगम अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई केवल अवैध कब्जों को हटाने के लिए की जा रही है। निगम का कहना है कि गैर धार्मिक कब्जों को हटाने के लिए पहले भी नोटिस जारी किया गया था, लेकिन जब संबंधित पक्षों ने इसे नहीं हटाया, तब मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी। अधिकारियों ने यह भी कहा कि आगे भी ऐसे सभी अवैध कब्जों को हटाया जाएगा जो कानूनी रूप से सही नहीं हैं।
कार्रवाई के दौरान स्थिति तनावपूर्ण रही, लेकिन पुलिस की तैनाती के चलते हालात नियंत्रण में रहे। प्रशासन ने सुनिश्चित किया कि किसी प्रकार का कानून-व्यवस्था का उल्लंघन न हो।
भिलाई में नगर निगम की यह कार्रवाई अवैध कब्जों के खिलाफ सरकार की सख्त नीति का उदाहरण है। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में की गई इस कार्रवाई से स्पष्ट है कि प्रशासन कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। हालांकि, करबला कमेटी और अन्य संगठनों द्वारा विरोध जारी रहने की संभावना है, जिससे आने वाले दिनों में स्थिति और जटिल हो सकती है।