भूतों का मेला: मलाजपुर गाँव: भूतों के मेले में दिखाई देता है आध्यात्मिक अद्वितीयता

Pushpraj Singh Thakur
Pushpraj Singh Thakur - Editor in Chief 49 Views
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भूतों का मेला: मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मलाजपुर गाँव में एक वार्षिक मेला है जिसे भूतों का मेला के रूप में जाना जाता है। आधुनिक युग में अंधविश्वास के रूप में देखा जाने वाला इस मेले को हर वर्ष राज्य के मंत्री, सांसद और विधायक स्वयं को उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित करते हैं।

अगर आप पूर्णिमा के दिन संत गुरूसाहब बाबा के दरबार में जाते हैं, तो आपको वहां अद्वितीय दृश्य मिलेगा। पूर्णिमा के दिन से इस गाँव में विभिन्न प्रकार के भूत प्रेत आने की बात की जाती है। कहा जाता है कि संत गुरूसाहब बाबा का परिवार राजस्थान से बैतूल के मलाजपुर गाँव में चरवाहे के रूप में आया था, और यहीं उनका जन्म हुआ था। उनके चमत्कारी कार्यों ने बचपन से ही लोगों की श्रद्धांजलि प्राप्त की। पहले देवजी कहलाए जाने वाले उन्होंने अपने अंधे गुरु जैतानंद की आंखों को छूकर उनकी दृष्टि को पुनः स्थापित करने के बाद संत गुरूसाहब का उपाधि प्राप्त किया।

मलाजपुर के भूत मेले का अधिकतम आकर्षण वहां बाबा गुरूसाहब की कचहरी का है, जिसमें भूत प्रेतों के मामले सुने जाते हैं। प्रेत बाधाओं से पीड़ित व्यक्तियों को यहां ले जाया जाता है। यहां के मुख्य पुजारी भूतों से बात करते हैं, और प्रेतों से मानव शरीर छोड़ने की शपथ दिलाई जाती है। इसका दावा किया जाता है कि प्रेत को निकालने के बाद लोग सामान्य हो जाते हैं, हालांकि इस प्रक्रिया में समय की विविधता हो सकती है, कभी कुछ मिनटों से लेकर कभी महीनों तक।

बाबा गुरूसाहब के दरबार की एक विचित्रता यह भी है कि यहां बाँटे जाने वाले प्रसाद में, जिसमें गुड़ शामिल है, कभी भी चीटियां या कीटाणु नहीं पाए जाते हैं। सालभर तक गुड़ को भंडार में रखने के बावजूद, इसमें एक भी चीटी नहीं दिखी जाती, यह दर्शनीय घटना कई सदियों से देखी जा रही है।

 

यहां के भूतों के मेले को कुछ लोग अंधविश्वास और उन मरीजों का मानना ह

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Pushpraj Singh Thakur
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आप सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं एवं वर्तमान में India News के जिला ब्यूरोचीफ के रूप में काम कर रहे हैं। आप सॉफ्टवेयर डेवलपर एवं डिजाइनर भी हैं।

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