छत्तीसगढ़ में इस वर्ष अच्छी बारिश के बावजूद, हाल ही में तेज धूप और अनियमित मौसमी स्थितियों के कारण धान की फसलों पर कीट और बीमारियों का प्रकोप देखा जा रहा है। तना छेदक, बांकी और चितरी जैसी बीमारियां धान की फसल को प्रभावित कर रही हैं। इन समस्याओं से बचाव के लिए कृषि विभाग ने किसानों को कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाए हैं।
फसल को कीटों से बचाने के उपाय:
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, तना छेदक, बांकी और चितरी जैसी बीमारियों का उपचार एक ही दवा से संभव है। फिनिल नामक दवा, जिसे डेनियल के नाम से भी जाना जाता है, इस बीमारी के लिए प्रभावी मानी जाती है। इसका उपयोग निम्नानुसार किया जा सकता है:
– प्रति एकड़ 4 ग्राम की दर से छिड़काव करें।
– या प्रति एकड़ 500 ग्राम फिनिल को तरल मिश्रण बनाकर छिड़कें।
इसके साथ ही, फतेरा नामक एक अन्य दवा का भी प्रयोग करना फायदेमंद होता है। इसका उपयोग इस प्रकार किया जा सकता है:
– प्रति एकड़ 4 किलो की दर से छिड़काव करें।
– प्रति सेकंड 80 से 100 मिलीलीटर की दर से इसका उपयोग करें।
किसानों को सलाह दी गई है कि वे इन दवाओं का समय पर और उचित मात्रा में प्रयोग कर अपनी फसल को कीटों से बचाएं।
धान खरीद में सरकार का नया कदम: पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाएगी
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष धान की फसल से 160 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार ने पारदर्शी और सुगम खरीदी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का सहारा लेने का फैसला किया है। इस साल धान की खरीद में इलेक्ट्रॉनिक मशीनों का उपयोग किया जाएगा, जिससे खरीदी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।
सरकार ने यह भी कहा है कि खरीदी के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए Transparent Procurement Process को लागू किया जा रहा है। इससे किसान अपनी उपज को आसानी से और सुरक्षित तरीके से बेच सकेंगे।
कृषि विभाग की इन सलाहों का पालन कर किसान अपनी धान की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।