कवर्धा : शिव भक्ति में डूबी 72 वर्षीय कृष्णा बम, 41वीं बार पूरी की डाक बम यात्रा, श्रद्धालुओं के लिए बनीं आदर्श

Pushpraj Singh Thakur
Pushpraj Singh Thakur - Editor in Chief 36 Views
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कवर्धा। सावन का पवित्र महीना हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दौरान हर सनातनी अपने घर और शिवालयों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना में लीन रहता है। शिव भक्तों के लिए यह समय विशेष होता है और वे भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न तरीकों से उनकी आराधना करते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको एक विशेष शिव भक्त, बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली 72 वर्षीय कृष्णा बम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी अद्वितीय भक्ति और संकल्प से सभी को प्रेरित किया है।

कृष्णा बम, जिनका असली नाम कृष्णा देवी है, को शिव भक्ति में अद्वितीय स्थान प्राप्त है। वे लगातार 40 वर्षों से बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाती आ रही हैं। इस साल, उन्होंने 41वीं बार यह पवित्र डाक बम यात्रा पूरी की है। पिछले वर्ष एक दुर्घटना में उनका पैर टूट गया था, जिसके कारण वे यह यात्रा नहीं कर सकीं। लेकिन उनकी गहरी आस्था और अटूट विश्वास ने उन्हें इस वर्ष फिर से डाक बम यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने शनिवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के बाद सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर यात्रा प्रारंभ की और सोमवार को बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित किया।

सावन माह के अंतिम सोमवार को कृष्णा बम छत्तीसगढ़ के कवर्धा शहर के प्राचीन पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर पहुंची और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ जलाभिषेक किया। इसके बाद वे मैकल पर्वत के गोद में बसे बाबा भोरमदेव मंदिर भी पहुंचीं और वहां भी जल चढ़ाया। जब शहरवासियों को उनके आने की सूचना मिली, तो लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उत्साहित नजर आए।

शिव भक्ति

कृष्णा बम का शिव भक्ति के प्रति समर्पण का सफर 1976 में शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार बाबा बैद्यनाथ पर जल चढ़ाया। 1982 से उन्होंने नियमित रूप से डाक बम के रूप में सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर देवघर में बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करना शुरू किया। इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका कहना है कि “घुटना टूटा है, लेकिन उत्साह नहीं।” हर साल वे सावन के हर सोमवार को बाबा बैद्यनाथ और अन्य ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करती हैं।

इस बार भी कृष्णा बम ने अपनी यात्रा के दौरान देवघर के बाद दूसरी सोमवारी को ओंकारेश्वर और आखिरी सोमवारी को महाकालेश्वर में जलाभिषेक किया। वे कहती हैं, “मैं कुछ नहीं करती, बस महादेव सब कुछ करवा देते हैं।”

कृष्णा बम के जीवन का सबसे यादगार अनुभव कैलाश पर्वत और मानसरोवर की यात्रा रहा है, जिसे वे अपने जीवन का सबसे बड़ा और अद्भुत क्षण मानती हैं। इसके अलावा, 2019 में उन्हें भारत सरकार की अनुमति से पाकिस्तान के कटास राज मंदिर जाने का अवसर भी मिला था। यह मंदिर लाहौर से 180 किलोमीटर दूर स्थित है।

उनकी यात्रा का सफर यहीं नहीं थमा। उन्होंने गंगोत्री से सेतुबंध रामेश्वरम तक 4500 किलोमीटर की यात्रा साइकिल से अपने पुत्र मुकेश कुमार के साथ पूरी की। इस यात्रा में उन्होंने 3 महीने तक रोजाना 50 किलोमीटर पैदल चलकर रामेश्वरम में जलाभिषेक किया। इसके अलावा, उन्होंने हरिद्वार से बाबा बैद्यनाथ तक कांवर लेकर एक महीने में जलाभिषेक किया और मुजफ्फरपुर से साइकिल द्वारा 15 दिनों में 1900 किलोमीटर की यात्रा कर वैष्णो देवी के दर्शन किए।

कृष्णा बम की यह यात्रा और उनका शिव भक्ति के प्रति समर्पण हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उनकी यह अद्वितीय यात्रा, उनके अटूट विश्वास और संकल्प का प्रतीक है, जो उन्हें भोलेनाथ के प्रति उनकी आस्था को और मजबूत बनाता है।

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Pushpraj Singh Thakur
By Pushpraj Singh Thakur Editor in Chief
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आप सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं एवं वर्तमान में India News के जिला ब्यूरोचीफ के रूप में काम कर रहे हैं। आप सॉफ्टवेयर डेवलपर एवं डिजाइनर भी हैं।

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