Lakhatola-लाखाटोला : देह व्यापार मजबूरी या मंजूरी, सेक्स रैकेट का गढ़

लाखाटोला में खुले आम होता है देह व्यापार इस वजह से यह गांव पूरे राज्य में है प्रसिद्ध

Pushpraj Singh Thakur
Pushpraj Singh Thakur - Editor in Chief 52 Views
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देह व्यापार मजबूरी या मंजूरी, सेक्स रैकेट का गढ़ लाखाटोला

Lakhatola-लाखाटोला। हम बात कर रहे हैं कवर्धा जिले के पंडरिया विधानसभा में आने वाला एक छोटा सा गांव लाखाटोला की। यह गांव सहसपुर लोहारा से कुछ ही दूरी पर स्थित है। जहां खुले आम होता है देह व्यापार। लाखाटोला किसी और वजह से नहीं बल्कि देह व्यापार के वजह से पूरे राज्य में प्रसिद्ध है जहां न केवल आस पास के लोग बल्कि राज्य के विभिन्न स्थानों से लोग अपने काम वासना की पूर्ति करने के लिए आते हैं। जहां इनका स्वागत शराब और शबाब से किया जाता है।

Lakhatola
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Lakhatola- सरपंच हो चुका है बेबस :

गांव के सरपंच ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि गांव में खुले आम अवैध शराब और देह व्यापार होता है परंतु शासन प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। कार्यवाही के नाम पर मात्र थाने ले जाकर बैठाया जाता है और कुछ समय में ही पुनः अपराधियों को छोड़ दिया जाता है। क्या प्रशासन भी गांव के दलालो से मिला हुआ है? क्या प्रशासन सब कुछ जान कर भी अनजान बना बैठा है? आखिर क्यों नही किया जा रहा इस गांव के लिए विकास का कार्य?

 

Lakhatola – देह व्यापार पर ग्रामीणों का काबुलनामा सुनिए :

ग्रामीण महिलाएं खुले आम स्वीकार करती हैं की इस गांव में देह व्यापार होता है और शराब की भी अवैध बिक्री होती है। उनसे जब पूछा गया कि आप ऐसा घिनौना काम करने पर क्यों मजबूर हैं? तब उन्होंने ने कहा कि लाखाटोला क्षेत्र में विकास कार्य होता ही नही है आमदनी या रोजगार का कोई भी साधन नही है। इस वजह से उन्हें मजबूरी मे यह काम करना पड़ता है।

 

Lakhatola – इस क्षेत्र की नवनिर्वाचित विधायक श्रीमती भावना बोहरा जी ने कहा :

हाल ही में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन इस क्षेत्र की नवनिर्वाचित विधायक से एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि आप इस क्षेत्र के बारे में क्या सोचती हैं तो उन्होंने जवाब दिया की भले ही पुरानी सरकारों ने लाखाटोला को एक श्राप समझ कर नजर अंदाज़ कर दिया हो परंतु उनके कार्यकाल में ऐसा नहीं होगा। बल्कि उस क्षेत्र में अधिक से अधिक विकास कार्य कर रोजगार के नए अवसर दिए जायेंगे। क्षेत्र की कानून व्यवस्था को वह पहले ही दुरुस्त कर चुकीं हैं।

यदि सभी चीजों को सोचा जाए तो कहीं न कहीं लाखाटोला के ग्रामीणों के साथ साथ पिछले शासन प्रशासन ने भी कही न कही गलतियां की थी। उसी का परिणाम है की आज लाखाटोला गांव के नाम लेने वाले व्यक्ति को भी शक की निगाहों से देखा जाता है। उम्मीद है की नई सरकार विकास और रोजगार के नए मार्ग खोलेगी और ऐसी कार्य या कार्य करने वाले लोग छत्तीसगढ़ का नाम खराब नहीं कर पायेंगे।

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Pushpraj Singh Thakur
By Pushpraj Singh Thakur Editor in Chief
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आप सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं एवं वर्तमान में India News के जिला ब्यूरोचीफ के रूप में काम कर रहे हैं। आप सॉफ्टवेयर डेवलपर एवं डिजाइनर भी हैं।

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