छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू (H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस) का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य में अब तक 300 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 17 लोगों की मौत हो चुकी है। विशेष रूप से बिलासपुर जिले में स्थिति गंभीर बनी हुई है, जहां स्वाइन फ्लू से अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है। इस स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट मोड पर रहते हुए एडवाइजरी जारी की है।
स्वाइन फ्लू क्या है?
स्वाइन फ्लू, जिसे H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाला फ्लू संक्रमण कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक श्वसन संक्रमण है। यह वायरस सूअरों से उत्पन्न हुआ और पहली बार 1919 की महामारी के दौरान पहचाना गया। मौसमी फ्लू वायरस के रूप में आज भी इसका प्रसार होता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के सामान्य लक्षण सामान्य बुखार जैसे ही होते हैं, जिसमें शरीर में दर्द, सर्दी, बलगम और बुखार शामिल हैं। यदि इन लक्षणों के साथ शुरुआती 72 घंटे में आराम नहीं मिलता, तो स्वाइन फ्लू की जांच कराना अनिवार्य है। समय पर इलाज न कराने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।
स्वाइन फ्लू से बचाव के उपाय
1. भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचें।
2. संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखें।
3. स्वच्छता का ध्यान रखें और नियमित रूप से हाथ धोएं।
4. यदि स्वाइन फ्लू के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।
स्वास्थ्य विभाग की पहल
स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए टोल फ्री नंबर 104 जारी किया है। इस नंबर पर किसी भी व्यक्ति की तबियत बिगड़ने पर संपर्क किया जा सकता है। 24 घंटे सहायता उपलब्ध रहेगी।
उपचार और सुविधाएं
स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए सीएमएचओ डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने बताया कि मेडिकल कॉलेज सिम्स, जिला अस्पताल और सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आईसोलेशन वार्ड, दवाइयां और आक्सीजन सिलेंडर की पूरी सुविधा उपलब्ध है। जरूरत पड़ने पर मरीज को उच्च संस्थान में भेजने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है।
स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी नागरिकों को सावधान रहना और जरूरी कदम उठाना चाहिए। सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता ही इस संकट से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है।